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इतो हिरोब्रुमि
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 524 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | ओमकारनाथ उपाध्याय |
इतो, हिरोब्रुमि, प्रिंस (1841-1909) जापानी राजनीतिज्ञ जो पहले प्रबल सामंत छाशू का सैनिक था। आरंभ में जिस राजनीतिक कार्य में स्वामी ने इतो को नियुक्त किया उससे स्वयं इतो और जापान दोनों का बड़ा हित सधा। इतो ने देखा कि पाश्चात्य तोपों और बंदूकों के सामने जापानी तीरंदाजों का टिक सकना असंभव है, इससे उसने कुछ मित्रों के साथ यूरोप में जाकर सैनिक साज सज्जा सीखने का निश्चय किया। पर तब के जापानी कानून के अनुसार विदेश जाने वालों को प्राणदंड मिला करता था। सो इतो और उसके साथियों ने जान पर खेलकर यूरोप की राजधानियों की रहा ली। जापान और पाश्चात्य देशों के बीच तनातनी के कारण उसे स्वदेश लौटना पड़ा।
कालांतर में प्रिंस इतो हिओगो का शासक नियत हुआ, फिर वित्त का उपमंत्री। 1871 ई. में वह इवाकुरा के साथ सैनिक सलाहकारों की खोज में फिर यूरोप गया। उसी के द्वारा प्रस्तुत यूरोपीय संविधानों के फलस्वरूप जापान का नया संविधान बना और जापान यूरोपीय राज्यों द्वारा समपदस्थ स्वीकृत हुआ। नई जापानी राज्यशक्ति के निर्माण में इतो का बड़ा हाथ था। एक कोरियाई हत्यारे ने उसकी हत्या कर दी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ