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ऋषभ एक क्रोधी ऋषि जो ऋषभकूट नामक पर्वत की चोटी पर रहता था। इसके तप से प्रभावित हो अनेक लोग इसके पास आने लगे। इससे इसे बहुत कष्ट होता था तथा तपस्या में विघ्न भी पड़ता था। फलस्वरूप इसने पर्वत तथा वायु को आदेश दिया कि जो कोई भी मेरे पास आने की कोशिश करे, पाषाणवृष्टि करके उसे वापस जाने के लिए मजबूर कर दो। इस ऋषि की एक रचना ऋषभगीता नाम से प्रसिद्ध है जिसमें सने कृशतनु-वीरद्युम्न-संवाद रूपी दृष्टांत के माध्यम से किसी सुमित्र नाम के राजा को आशा की सूक्ष्मता तथा विशालता का परिचय दिया है।  
'''ऋषभ''' एक क्रोधी ऋषि जो ऋषभकूट नामक पर्वत की चोटी पर रहता था। इसके तप से प्रभावित हो अनेक लोग इसके पास आने लगे। इससे इसे बहुत कष्ट होता था तथा तपस्या में विघ्न भी पड़ता था। फलस्वरूप इसने पर्वत तथा वायु को आदेश दिया कि जो कोई भी मेरे पास आने की कोशिश करे, पाषाणवृष्टि करके उसे वापस जाने के लिए मजबूर कर दो। इस ऋषि की एक रचना ऋषभगीता नाम से प्रसिद्ध है जिसमें सने कृशतनु-वीरद्युम्न-संवाद रूपी दृष्टांत के माध्यम से किसी सुमित्र नाम के राजा को आशा की सूक्ष्मता तथा विशालता का परिचय दिया है।  


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

०७:४३, ११ जुलाई २०१८ के समय का अवतरण

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लेख सूचना
ऋषभ
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 203
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक कैलासचंद्र शर्मा

ऋषभ एक क्रोधी ऋषि जो ऋषभकूट नामक पर्वत की चोटी पर रहता था। इसके तप से प्रभावित हो अनेक लोग इसके पास आने लगे। इससे इसे बहुत कष्ट होता था तथा तपस्या में विघ्न भी पड़ता था। फलस्वरूप इसने पर्वत तथा वायु को आदेश दिया कि जो कोई भी मेरे पास आने की कोशिश करे, पाषाणवृष्टि करके उसे वापस जाने के लिए मजबूर कर दो। इस ऋषि की एक रचना ऋषभगीता नाम से प्रसिद्ध है जिसमें सने कृशतनु-वीरद्युम्न-संवाद रूपी दृष्टांत के माध्यम से किसी सुमित्र नाम के राजा को आशा की सूक्ष्मता तथा विशालता का परिचय दिया है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ