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एड्रियानोपुल्स
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 238 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्यामसुंदर शर्मा |
एड्रियानोपुल्स यह तुर्की का एक अति प्राचीन नगर है। इसका पहला नाम उस्कादम अथवा उस्कोदम था। रोमन सम्राट् एड्रियन ने दूसरी शताब्दी में इसको बढ़ाया और इसका पुनर्नामकरण एड्रियानोपुल्स किया। इसका तुर्की नाम एदीर्न और बुल्गारी नाम ओदीर्न है। प्रथम मुराद द्वारा सन् 1361 ई. में अधिकृत होने के बाद से लेकर सन् 1453 ई. तक यह तुर्की के सुल्तानों का आवासस्थान रहा। यह इस्तंबूल से 140 मील पश्चिमोत्तर-पश्चित दिशा में तुजा और मारीत्सा नदियों के संगम पर बसा है। सन् 1613 ई. में इसे सर्ब और बुलगर लोगों ने 155 दिनों के घेरे के बाद कब्जे में कर लिया था। बाद में तुर्को ने इसे लौटा लिया। सन् 1923 ई. की लोजैन की संधि के अनुसार अंत में यह तुर्को को मिल गया। तब से यह बराबर तुर्को के अधीन रहा।
प्राचीन नगर की अब कुछ रोमन दीवारें ही बच गई हैं। यहाँ पहले 314 मस्जिदें थीं, परंतु आधुनिक युद्धों के परिणामस्वरूप अब उनमें से केवल आधी ही शेष बची हैं। अर्धनष्ट एस्की सराय सुल्तानों का प्राचीन महल था। सन् 1488 ई. में निर्मित बयजीत वेली पूर्व की अद्वितीय मस्जिद मानी जाती हैं।
यहाँ के मुख्य उद्योग सूती और रेशमी वस्त्र, दरी, चमड़े के सामान, शराब, गुलाबजल, गुलाब के इत्र आदि हैं। सन् 1645 ई. में इसकी जनसंख्या 68,155 थी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ