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आक्टेव क्रेमैंजी
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 221 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
आक्टेव क्रेमैंजी (1822-1879 ई.) कनाडा का कवि। 8 नवंबर, 1822 ई. को क्वेवेक में जन्म और वहाँ शिक्षा। 1848 ई. में उसने अपने दो भाइयों के सहयोग से एक किताब की दुकान खोली जो एक प्रकार से साहित्यकारों का अड्डा बना। वहाँ से उसने ‘ले स्वायरे’ कनेडियस नामक पत्रिका निकाली जिसका उद्देश्य फ्रांसीसी कनाडा के लोकगीतों को संगृहीत करना था ताकि वे लुप्त न हो जायँ। क्रेमैजी ने स्वयं अपनी कविताएँ 1854 ई. से ‘जर्नल द क्यूबेक’ में प्रकाशित करना आरंभ किया। 1863 ई. में वह कतिपय व्यापारिक कठिनाइयों में पड़ गया और कनाडा छोड़कर फ्रांस चला गया जहाँ उसका सारा जीवन दरिद्रतापूर्ण बीता। इस काल में उसने जूल्स फांटने के छद्म नाम से कविताएँ लिखीं। इस काल में उसने एक नैराश्यपूर्ण लंबी कविता लिखी और ‘पेरिस के घेरे’ पर जिसे उसने आँखों देखा था एक खंड काव्य लिखा। उसकी कविताएँ कनाडा की राष्ट्रीयता और कनाडा की प्राकृतिक छवि से ओतप्रोत हैं। हार्वे में 16 जनवरी, 1879 ई. को उसकी मृत्यु हुई।
टीका टिप्पणी और संदर्भ