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ऐंफ़िबोल
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 271 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | महाराजनारायण मेहरोत्रा |
ऐंफ़िबोल वर्ग के खनिज पाइरॉक्सीन खनिजों के समानीय हैं। इनका रासायनिक संगठन तथा भौतिक गुण पाइरॉक्सीन खनिजों के समान हैं। फलस्वरूप पाइरॉक्सीन और ऐफ़िबोल खनिजों में भेद करना कठिन हो जाता है। दोनों वर्गो के प्रकाशीय गुण भिन्न-भिन्न होते हैं। इसी आधार पर अण्वीक्ष यंत्र की सहायता से उनमें भेद किया जाता है।
साधारणत: ऐंफ़िबोल खनिज लोहा, मैगनीशियम तथा कैल्सियम के सिलीकेट हैं। पर कुछ खनिजों में थोड़ा बहुत सोडा और ऐल्यूमिना भी विद्यमान रहता है। इस वर्ग का सबसे महत्वपूर्ण खनिज हार्नब्लेंड है। यह एकनत (मोनोक्लिनिक) समुदाय में स्फुटित होता है। यह बहुधा स्तंभीय (कॉलमनर) रूप में, किंतु कभी कभी दानेदार अथवा रेशेदार रूप में भी, मिलता है। सतह काच की तरह चमकती है। ऐशेदार रूप में भी, मिलता है। रेशेदार आकृति में उपलब्ध होने पर रेशे रेशम के समान दिखाई पड़ते हैं। इस खनिज में दो तड़कन तल होते हैं, जो समपार्श्व (प्रिज्म़) के कलकों के समांतर 56रू और 124रू के कोण पर रहते हैं। इनकी कठोरता 5से 6तक और आपेक्षिक घनत्व 2.9 से 3.4 तक होता है।
ऐंफ़िबोल के खनिज आग्नेय और रूपांतरित (मेटामार्फ़िक) शिलाओं में पाए जाते हैं, जैसे डायोराइट, ऐंफ़ीबोलाइट, आदि शिलाओं में। [१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं.–एच. एच. रीड : रुजलेज़ एलिमेंट्स ऑव मिनरॉलोजी।