"करंजा": अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) No edit summary |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
{{भारतकोश पर बने लेख}} | |||
{{लेख सूचना | {{लेख सूचना | ||
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 | |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 | ||
पंक्ति २३: | पंक्ति २४: | ||
}} | }} | ||
'''करंजा''' | '''करंजा''' | ||
*अकोला जिले के मुर्तजापुर नामक ताल्लुके का एक प्रमुख नगर है। | |||
*इसकी स्थिति २०रू २९फ़ उ.अ. तथा ७७रू ३०फ़ पू.दे. है। | *इसकी स्थिति २०रू २९फ़ उ.अ. तथा ७७रू ३०फ़ पू.दे. है। | ||
*इस नगर का नाम एक संत के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है, उस संत को अंबादेवी का अभय वरदान मिला था। | *इस नगर का नाम एक संत के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है, उस संत को अंबादेवी का अभय वरदान मिला था। | ||
पंक्ति ३३: | पंक्ति ३४: | ||
*ऐसा ज्ञात होता है कि पहले इस नगर के चारों ओर प्राचीन था जो समतल सा हो गया है। | *ऐसा ज्ञात होता है कि पहले इस नगर के चारों ओर प्राचीन था जो समतल सा हो गया है। | ||
*यह नगर एक पक्की सड़क द्वारा मुर्तजापुर से संबद्ध है। | *यह नगर एक पक्की सड़क द्वारा मुर्तजापुर से संबद्ध है। | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
[[Category:हिन्दी विश्वकोश | [[Category:हिन्दी विश्वकोश]][[Category:महाराष्ट्र के नगर]] [[Category:भारत के नगर]][[Category:महाराष्ट्र]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
१३:३७, ३० अगस्त २०१४ के समय का अवतरण
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
करंजा
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 414 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1975 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | बच्चाप्रसाद राव |
करंजा
- अकोला जिले के मुर्तजापुर नामक ताल्लुके का एक प्रमुख नगर है।
- इसकी स्थिति २०रू २९फ़ उ.अ. तथा ७७रू ३०फ़ पू.दे. है।
- इस नगर का नाम एक संत के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है, उस संत को अंबादेवी का अभय वरदान मिला था।
- आज भी एक सरोवर तथा मंदिर उस संत से संबंधित बताए जाते हैं।
- इस नगर के बाहर अनेक भग्नावशेष हैं जो इसके प्राचीन इतिहास पर अस्पष्ट प्रकाश डालते हैं।
- ऐसा ज्ञात होता है कि पहले इस नगर के चारों ओर प्राचीन था जो समतल सा हो गया है।
- यह नगर एक पक्की सड़क द्वारा मुर्तजापुर से संबद्ध है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ