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गोरखपुर उत्तर भारत में पूर्वी उत्तरप्रदेश का वाराणसी के बाद दूसरा सबसे बड़ा नगर है। राप्ती नदी के बाएँ तट पर बसा हुआ यह नगर रोहिन तथा राप्ती नदियों और रामगढ़ ताल से घिरा हुआ है। प्रमाण के साथ कहा जा सकता है कि राप्ती नदी के मार्ग परिवर्तन के साथ यह पुराना नगर भी उत्तर से दक्षिण को खिसकता रहा। नगर के विकास पर हिंदू मुस्लिम तथा अंग्रेजी राज्यों का प्रभाव पूर्ण रूप से पाया जाता है। बाबा गोरखनाथ का मंदिर, जिसपर नगर का नाम आधारित है, नगर के विकास का मुख्य केंद्र रहा है। अकबर महान्‌ के समय में राजपूतों का आधिपत्य समाप्त हुआ तथा नगर मुसलमानों का बहुत बड़ा गढ़ बन गया। १६१० ई. में श्रीनेत राजपूत राजा वंसतसिंह ने यहाँ जिस हिंदू राज्य की स्थापना की थी वह करीब सात दशकों तक स्थिर रहा। बसंतसिंह का किला नगर के विस्तार का कारण हुआ। १६८० ई. में औरंगजेब के शासनकाल में पुन: मुसलमानों का अधिकार हुआ। इसी समय की बनी जामा मस्जिद नगर की वृद्धि में सहायक हुई। किंतु यह सत्य है कि अंग्रेजों के आगमनकाल १८०१ ई. तक नगर का विकास असंतुलित, अव्यवस्थित तथा छिटपुट हुआ।
गोरखपुर उत्तर भारत में पूर्वी उत्तरप्रदेश का वाराणसी के बाद दूसरा सबसे बड़ा नगर है। राप्ती नदी के बाएँ तट पर बसा हुआ यह नगर रोहिन तथा राप्ती नदियों और रामगढ़ ताल से घिरा हुआ है। प्रमाण के साथ कहा जा सकता है कि राप्ती नदी के मार्ग परिवर्तन के साथ यह पुराना नगर भी उत्तर से दक्षिण को खिसकता रहा। नगर के विकास पर हिंदू मुस्लिम तथा अंग्रेजी राज्यों का प्रभाव पूर्ण रूप से पाया जाता है। बाबा गोरखनाथ का मंदिर, जिसपर नगर का नाम आधारित है, नगर के विकास का मुख्य केंद्र रहा है। अकबर महान्‌ के समय में राजपूतों का आधिपत्य समाप्त हुआ तथा नगर मुसलमानों का बहुत बड़ा गढ़ बन गया। 1६1० ई. में श्रीनेत राजपूत राजा वंसतसिंह ने यहाँ जिस हिंदू राज्य की स्थापना की थी वह करीब सात दशकों तक स्थिर रहा। बसंतसिंह का किला नगर के विस्तार का कारण हुआ। 1६८० ई. में औरंगजेब के शासनकाल में पुन: मुसलमानों का अधिकार हुआ। इसी समय की बनी जामा मस्जिद नगर की वृद्धि में सहायक हुई। किंतु यह सत्य है कि अंग्रेजों के आगमनकाल 1८०1 ई. तक नगर का विकास असंतुलित, अव्यवस्थित तथा छिटपुट हुआ।


ब्रिटिश शासन में सिविल लाइन, पुलिस लाइन, रेलवे कालोनी तथा अन्य बहुत सी बस्तियों का प्रादुर्भाव हुआ। गोरखपुर के व्यापार तथा उद्योग धंधों की उन्नति भी प्रशंसनीय रही। यहाँ १८८५ ई. में रेलवे लाइन आई। १९४७ ई. में नगर क्षेत्रीय मोटर यातायात का बहुत ही बड़ा केंद्र हो गया। रेलवे के अत्यधिक विकास के फलस्वरूप यहाँ आरंभ से ही छोटी लाइन<ref>बी.एन.डब्ल्यू.आर; ओ.टी.आर.</ref> का मुख्यालय रहा। आजकल यह नगर उत्तर-पूर्व-रेलवे का बहुत बड़ा जंकशन तथा केंद्र है। फलस्वरूप अधिकारियों तथा कार्यकर्ताओं के बँगले, कार्यालय, शिक्षाकेंद्र, चिकित्सालय तथा रेलवे संबंधी अन्य बहुत से विकास कार्य यहाँ हुए। छावनी समाप्त हो जाने पर भी यहाँ सैनिक टुकड़ियाँ रहती हैं।
ब्रिटिश शासन में सिविल लाइन, पुलिस लाइन, रेलवे कालोनी तथा अन्य बहुत सी बस्तियों का प्रादुर्भाव हुआ। गोरखपुर के व्यापार तथा उद्योग धंधों की उन्नति भी प्रशंसनीय रही। यहाँ 1८८५ ई. में रेलवे लाइन आई। 1९४७ ई. में नगर क्षेत्रीय मोटर यातायात का बहुत ही बड़ा केंद्र हो गया। रेलवे के अत्यधिक विकास के फलस्वरूप यहाँ आरंभ से ही छोटी लाइन<ref>बी.एन.डब्ल्यू.आर; ओ.टी.आर.</ref> का मुख्यालय रहा। आजकल यह नगर उत्तर-पूर्व-रेलवे का बहुत बड़ा जंकशन तथा केंद्र है। फलस्वरूप अधिकारियों तथा कार्यकर्ताओं के बँगले, कार्यालय, शिक्षाकेंद्र, चिकित्सालय तथा रेलवे संबंधी अन्य बहुत से विकास कार्य यहाँ हुए। छावनी समाप्त हो जाने पर भी यहाँ सैनिक टुकड़ियाँ रहती हैं।


यहाँ पर कुल आठ निजी तथा चार सरकारी कारखाने हैं, जिनमें क्रमश: १८७५ तथा ४३२१ मनुष्य काम करते हैं। उत्तर पूर्व रेलवे का भी बहुत बड़ा कारखाना है जिसमें ४००० मजदूर हैं। गोरखपुर हाथकरघा से बने हुए वस्त्रों का बहुत बड़ा केंद्र है। यहाँ लोहे के सामान, कागज, छपाई, खाद्य सामग्री, पेय पदार्थो तथा तंबाकू के औद्योगिक केंद्र हैं।
यहाँ पर कुल आठ निजी तथा चार सरकारी कारखाने हैं, जिनमें क्रमश: 1८७५ तथा ४३२1 मनुष्य काम करते हैं। उत्तर पूर्व रेलवे का भी बहुत बड़ा कारखाना है जिसमें ४००० मजदूर हैं। गोरखपुर हाथकरघा से बने हुए वस्त्रों का बहुत बड़ा केंद्र है। यहाँ लोहे के सामान, कागज, छपाई, खाद्य सामग्री, पेय पदार्थो तथा तंबाकू के औद्योगिक केंद्र हैं।


यहाँ दो डिग्री कालेजों तथा १२ माध्यमिक विद्यालयों के अलावा हाल ही में खुला हुआ विश्वविद्यालय भी है। नालियों की कमी है जिससे सफाई भली भाँति नहीं रहती। मलेरिया यहाँ की मुख्य बीमारी है। सिनेमा आदि आधुनिक मनोरंजन के साधन भी हैं।
यहाँ दो डिग्री कालेजों तथा 1२ माध्यमिक विद्यालयों के अलावा हाल ही में खुला हुआ विश्वविद्यालय भी है। नालियों की कमी है जिससे सफाई भली भाँति नहीं रहती। मलेरिया यहाँ की मुख्य बीमारी है। सिनेमा आदि आधुनिक मनोरंजन के साधन भी हैं।





११:०७, १२ अगस्त २०११ का अवतरण

लेख सूचना
गोरखपुर
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 28
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक फूलदेव सहाय वर्मा
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक हरि हर सिंह

गोरखपुर उत्तर भारत में पूर्वी उत्तरप्रदेश का वाराणसी के बाद दूसरा सबसे बड़ा नगर है। राप्ती नदी के बाएँ तट पर बसा हुआ यह नगर रोहिन तथा राप्ती नदियों और रामगढ़ ताल से घिरा हुआ है। प्रमाण के साथ कहा जा सकता है कि राप्ती नदी के मार्ग परिवर्तन के साथ यह पुराना नगर भी उत्तर से दक्षिण को खिसकता रहा। नगर के विकास पर हिंदू मुस्लिम तथा अंग्रेजी राज्यों का प्रभाव पूर्ण रूप से पाया जाता है। बाबा गोरखनाथ का मंदिर, जिसपर नगर का नाम आधारित है, नगर के विकास का मुख्य केंद्र रहा है। अकबर महान्‌ के समय में राजपूतों का आधिपत्य समाप्त हुआ तथा नगर मुसलमानों का बहुत बड़ा गढ़ बन गया। 1६1० ई. में श्रीनेत राजपूत राजा वंसतसिंह ने यहाँ जिस हिंदू राज्य की स्थापना की थी वह करीब सात दशकों तक स्थिर रहा। बसंतसिंह का किला नगर के विस्तार का कारण हुआ। 1६८० ई. में औरंगजेब के शासनकाल में पुन: मुसलमानों का अधिकार हुआ। इसी समय की बनी जामा मस्जिद नगर की वृद्धि में सहायक हुई। किंतु यह सत्य है कि अंग्रेजों के आगमनकाल 1८०1 ई. तक नगर का विकास असंतुलित, अव्यवस्थित तथा छिटपुट हुआ।

ब्रिटिश शासन में सिविल लाइन, पुलिस लाइन, रेलवे कालोनी तथा अन्य बहुत सी बस्तियों का प्रादुर्भाव हुआ। गोरखपुर के व्यापार तथा उद्योग धंधों की उन्नति भी प्रशंसनीय रही। यहाँ 1८८५ ई. में रेलवे लाइन आई। 1९४७ ई. में नगर क्षेत्रीय मोटर यातायात का बहुत ही बड़ा केंद्र हो गया। रेलवे के अत्यधिक विकास के फलस्वरूप यहाँ आरंभ से ही छोटी लाइन[१] का मुख्यालय रहा। आजकल यह नगर उत्तर-पूर्व-रेलवे का बहुत बड़ा जंकशन तथा केंद्र है। फलस्वरूप अधिकारियों तथा कार्यकर्ताओं के बँगले, कार्यालय, शिक्षाकेंद्र, चिकित्सालय तथा रेलवे संबंधी अन्य बहुत से विकास कार्य यहाँ हुए। छावनी समाप्त हो जाने पर भी यहाँ सैनिक टुकड़ियाँ रहती हैं।

यहाँ पर कुल आठ निजी तथा चार सरकारी कारखाने हैं, जिनमें क्रमश: 1८७५ तथा ४३२1 मनुष्य काम करते हैं। उत्तर पूर्व रेलवे का भी बहुत बड़ा कारखाना है जिसमें ४००० मजदूर हैं। गोरखपुर हाथकरघा से बने हुए वस्त्रों का बहुत बड़ा केंद्र है। यहाँ लोहे के सामान, कागज, छपाई, खाद्य सामग्री, पेय पदार्थो तथा तंबाकू के औद्योगिक केंद्र हैं।

यहाँ दो डिग्री कालेजों तथा 1२ माध्यमिक विद्यालयों के अलावा हाल ही में खुला हुआ विश्वविद्यालय भी है। नालियों की कमी है जिससे सफाई भली भाँति नहीं रहती। मलेरिया यहाँ की मुख्य बीमारी है। सिनेमा आदि आधुनिक मनोरंजन के साधन भी हैं।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बी.एन.डब्ल्यू.आर; ओ.टी.आर.