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*पोनेयर तथा गदिलम नदियाँ इस नगर से बहती हुई समुद्र में गिरती हैं।  
*पोनेयर तथा गदिलम नदियाँ इस नगर से बहती हुई समुद्र में गिरती हैं।  
*इसका नाम संभवत: 'कुदल-उर' का विकृत रूप है, जिसका अर्थ दो नदियों का संगम है।  
*इसका नाम संभवत: 'कुदल-उर' का विकृत रूप है, जिसका अर्थ दो नदियों का संगम है।  
*1८८४ ई. में बाढ़ का पानी नगर के बीच से बहने लगा था।  
*1८८4 ई. में बाढ़ का पानी नगर के बीच से बहने लगा था।  
*यहाँ से गन्ना और तेलहन बाहर भेजा जाता हे।  
*यहाँ से गन्ना और तेलहन बाहर भेजा जाता हे।  
*यह नगर संत डेविड के किले के लिए प्रख्यात हे जो खंडहर के रूप में गदिलम नदी के किनारे स्थित है।  
*यह नगर संत डेविड के किले के लिए प्रख्यात हे जो खंडहर के रूप में गदिलम नदी के किनारे स्थित है।  

०७:३०, १८ अगस्त २०११ का अवतरण

लेख सूचना
कडलोर
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 376
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1975 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक रामवृक्ष सिंह
  • कडलोर भारत का एक नगर है जो तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी अर्काट जिले में मद्रास नगर से 1९० कि.मी. तथा पांडिचेरी से 1९ कि.मी. की दूरी पर मद्रास त्रिचनापल्ली सड़क पर स्थित है।
  • यहाँ की जलवायु अच्छी है।
  • यह आसपास के जिलों का स्वास्थ्यवर्धक केंद्र है।
  • पोनेयर तथा गदिलम नदियाँ इस नगर से बहती हुई समुद्र में गिरती हैं।
  • इसका नाम संभवत: 'कुदल-उर' का विकृत रूप है, जिसका अर्थ दो नदियों का संगम है।
  • 1८८4 ई. में बाढ़ का पानी नगर के बीच से बहने लगा था।
  • यहाँ से गन्ना और तेलहन बाहर भेजा जाता हे।
  • यह नगर संत डेविड के किले के लिए प्रख्यात हे जो खंडहर के रूप में गदिलम नदी के किनारे स्थित है।
  • इस किले का निर्माण एक हिंदू व्यापारी ने कराया था।
  • सन्‌ 1६७७ ई. में यह शिवाजी के हाथ में चला आया।
  • तब से इसका नाम संत डेविड का किला हो गया।
  • सन्‌ 1७५६ ई. में रॉबर्ट क्लाइव यहाँ का गर्वनर नियुक्त किया गया।
  • 1७५८ ई. में फ्रांसीसियों ने इसको अपने अधिकार में कर लिया।
  • 1७८५ ई. में यह पुन: अंग्रेजों के हाथ में चला आया।
  • बाफ्ता की बुनाई यहाँ का मुख्य उद्योग है।
  • जेल के कैदी दरी, गमछे तथा अन्य सूती कपड़े बुनते हैं।
  • यहाँ दो महाविद्यालय हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

“खण्ड 2”, हिन्दी विश्वकोश, 1975 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 376।