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'''अंतरिक्ष''' में समस्त भौतिक पिंड, ग्रह, नक्षत्र, नीहारिकाएँ आदि अवस्थित हैं। अंतरिक्ष के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग 19 अरब नीहारिकाएँ होने का अनुमान है। हर नीहारिका में लगभग 10 अरब तारे हैं और एक नीहारिका का व्यास लगभग एक लाख प्रकाश वर्ष है। आपेक्षिकता के सिद्धांत के पूर्व की भौतिकी में अंतरिक्ष को निरपेक्ष (एब्सॉल्यूट) माना गया था। लेकिन आपेक्षिकता के सिद्धांत ने यह सिद्ध कर दिया कि निरपेक्ष अंतरिक्ष का कोई भौतिक अर्थ नहीं होता; इसलिए कि भौतिक वास्तविकता अंतरिक्ष के किसी बिंदु में नहीं होती। अंतरिक्ष की अधिक जानकारी के लिए दिक्काल तथा आपेक्षिकता का सिद्धांत देखा जा सकता है।  
'''अंतरिक्ष''' में समस्त भौतिक पिंड, ग्रह, नक्षत्र, नीहारिकाएँ आदि अवस्थित हैं। अंतरिक्ष के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग 19 अरब नीहारिकाएँ होने का अनुमान है। हर नीहारिका में लगभग 10 अरब तारे हैं और एक नीहारिका का व्यास लगभग एक लाख प्रकाश वर्ष है। [[चित्र:58-1.jpg|left|]] आपेक्षिकता के सिद्धांत के पूर्व की भौतिकी में अंतरिक्ष को निरपेक्ष (एब्सॉल्यूट) माना गया था। लेकिन आपेक्षिकता के सिद्धांत ने यह सिद्ध कर दिया कि निरपेक्ष अंतरिक्ष का कोई भौतिक अर्थ नहीं होता; इसलिए कि भौतिक वास्तविकता अंतरिक्ष के किसी बिंदु में नहीं होती। अंतरिक्ष की अधिक जानकारी के लिए दिक्काल तथा आपेक्षिकता का सिद्धांत देखा जा सकता है।  
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१०:०२, ४ मार्च २०१३ का अवतरण

लेख सूचना
अंतरिक्ष
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 45,46
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक निरंकार सिंह्

अंतरिक्ष में समस्त भौतिक पिंड, ग्रह, नक्षत्र, नीहारिकाएँ आदि अवस्थित हैं। अंतरिक्ष के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग 19 अरब नीहारिकाएँ होने का अनुमान है। हर नीहारिका में लगभग 10 अरब तारे हैं और एक नीहारिका का व्यास लगभग एक लाख प्रकाश वर्ष है।

चित्र:58-1.jpg

आपेक्षिकता के सिद्धांत के पूर्व की भौतिकी में अंतरिक्ष को निरपेक्ष (एब्सॉल्यूट) माना गया था। लेकिन आपेक्षिकता के सिद्धांत ने यह सिद्ध कर दिया कि निरपेक्ष अंतरिक्ष का कोई भौतिक अर्थ नहीं होता; इसलिए कि भौतिक वास्तविकता अंतरिक्ष के किसी बिंदु में नहीं होती। अंतरिक्ष की अधिक जानकारी के लिए दिक्काल तथा आपेक्षिकता का सिद्धांत देखा जा सकता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ