"कुंबी": अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) छो (Adding category Category:वृक्ष (Redirect Category:वृक्ष resolved) (को हटा दिया गया हैं।)) |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "१" to "1") |
||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
*कुंबी एक पर्णपाती वृक्ष जो समस्त भारत में पाया जाता है। | *कुंबी एक पर्णपाती वृक्ष जो समस्त भारत में पाया जाता है। | ||
*इसका लैटिन भाषा का अरनोअरेआ है। | *इसका लैटिन भाषा का अरनोअरेआ है। | ||
*इसकी ऊँचाई ९ से | *इसकी ऊँचाई ९ से 1८ मीटर तक होती है। | ||
*इसका अंतकाष्ठ हलका या गहरे लाल रंगा का होता है। लकड़ी भारी तथा कठोर होती है। | *इसका अंतकाष्ठ हलका या गहरे लाल रंगा का होता है। लकड़ी भारी तथा कठोर होती है। | ||
*कुंबी की लकड़ी का उपयोग कृषि औजारों, आलमारियों, बंदूक के कुंदों, घरों के खंभों और तख्तों के बनाने के काम आता है, यह परिरक्षी उपचार के बाद रेल के स्लीपर बनाने के लिए अच्छी मानी गई है। | *कुंबी की लकड़ी का उपयोग कृषि औजारों, आलमारियों, बंदूक के कुंदों, घरों के खंभों और तख्तों के बनाने के काम आता है, यह परिरक्षी उपचार के बाद रेल के स्लीपर बनाने के लिए अच्छी मानी गई है। | ||
पंक्ति १३: | पंक्ति १३: | ||
*फल का काढ़ा पाचक होता है। | *फल का काढ़ा पाचक होता है। | ||
*बीज विषैले होते हैं। | *बीज विषैले होते हैं। | ||
*पत्तियों में | *पत्तियों में 1९ प्रतिशत टैनिन पाया जाता है। | ||
*इनका उपयोग चुरुट और बीड़ी बनाने में होता है। | *इनका उपयोग चुरुट और बीड़ी बनाने में होता है। | ||
*पौधों में टसर रेशम के कीड़े पाले जाते हैं। | *पौधों में टसर रेशम के कीड़े पाले जाते हैं। |
०७:०४, १८ अगस्त २०११ का अवतरण
- कुंबी एक पर्णपाती वृक्ष जो समस्त भारत में पाया जाता है।
- इसका लैटिन भाषा का अरनोअरेआ है।
- इसकी ऊँचाई ९ से 1८ मीटर तक होती है।
- इसका अंतकाष्ठ हलका या गहरे लाल रंगा का होता है। लकड़ी भारी तथा कठोर होती है।
- कुंबी की लकड़ी का उपयोग कृषि औजारों, आलमारियों, बंदूक के कुंदों, घरों के खंभों और तख्तों के बनाने के काम आता है, यह परिरक्षी उपचार के बाद रेल के स्लीपर बनाने के लिए अच्छी मानी गई है।
- कनारा और मालाबार से काफी मात्रा में लकड़ी प्राप्त होती है।
- कुंबी का छाल रेशेदार होती है जिसका उपयोग भूरे कागज और घटिया जहाजी रस्सों के बनाने में होता है।
- इसकी छाल ठंड में शामक के रूप में दी जाती है।
- इसका उपयोग चेचक एवं ज्वरहारी खुजली को नष्ट करने में होता है।
- फूलों की पर्णयुक्त कलियों में श्लेष्मा होता है।
- फल सुंगधित और खाद्य होते हैं।
- इसमें कषाय गोंद पाए जाते हैं।
- फल का काढ़ा पाचक होता है।
- बीज विषैले होते हैं।
- पत्तियों में 1९ प्रतिशत टैनिन पाया जाता है।
- इनका उपयोग चुरुट और बीड़ी बनाने में होता है।
- पौधों में टसर रेशम के कीड़े पाले जाते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ