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''अंबरनाथ''' (अथवा अमरनाथ) महाराष्ट्र राज्य के थाना जिले के कल्याण तालुका का एक नगर है (19° 12¢ उ.अ. तथा 73° 10¢ पू.दे.) जो बंबई नगर से 38 मील की दूरी पर स्थित है। यह मध्य रेलवे का एक स्टेशन भी है जो नगर से लगभग एक मील पूर्व दिशा में स्थित है। यहाँ से एक मील से भी कम की दूरी पर पूर्व की ओर एक प्राचीन हिंदू देवालय है जो प्राचीन हिंदू शिल्प विद्या का एस ज्वलंत उदाहरण है। परंतु अब यह खंडहर सा हो गया है। इसके अंतर्गत 1060 ई. का एक प्राचीन शिलालेख पाया गया है। यहाँ की मुख्य मूर्तियों में एक त्रैमस्तकी मूर्ति, जिसके घुटनों पर एक नारी भी उपविष्ट है, मुख्य है। संभवत यह मूर्ति शिव पार्वती को निरूपित करने के हेतु निर्मित की गई थी। यहाँ पर माघ मास (फरवरी-मार्च) में शिवरात्रि के पर्व पर एक मेला लगता है। यहाँ पर दियासलाई का एक कारखाना भी है। क्षेत्रफल 2.6 वर्ग मील है। | ''अंबरनाथ''' (अथवा अमरनाथ) महाराष्ट्र राज्य के थाना जिले के कल्याण तालुका का एक नगर है (19° 12¢ उ.अ. तथा 73° 10¢ पू.दे.) जो बंबई नगर से 38 मील की दूरी पर स्थित है। यह मध्य रेलवे का एक स्टेशन भी है जो नगर से लगभग एक मील पूर्व दिशा में स्थित है। यहाँ से एक मील से भी कम की दूरी पर पूर्व की ओर एक प्राचीन हिंदू देवालय है जो प्राचीन हिंदू शिल्प विद्या का एस ज्वलंत उदाहरण है। परंतु अब यह खंडहर सा हो गया है। इसके अंतर्गत 1060 ई. का एक प्राचीन शिलालेख पाया गया है। यहाँ की मुख्य मूर्तियों में एक त्रैमस्तकी मूर्ति, जिसके घुटनों पर एक नारी भी उपविष्ट है, मुख्य है। संभवत यह मूर्ति शिव पार्वती को निरूपित करने के हेतु निर्मित की गई थी। यहाँ पर माघ मास (फरवरी-मार्च) में शिवरात्रि के पर्व पर एक मेला लगता है। यहाँ पर दियासलाई का एक कारखाना भी है। क्षेत्रफल 2.6 वर्ग मील है। | ||
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०६:४२, ७ मार्च २०१३ का अवतरण
अंबरनाथ
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 60 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | नरेन्द्र लाल् |
अंबरनाथ' (अथवा अमरनाथ) महाराष्ट्र राज्य के थाना जिले के कल्याण तालुका का एक नगर है (19° 12¢ उ.अ. तथा 73° 10¢ पू.दे.) जो बंबई नगर से 38 मील की दूरी पर स्थित है। यह मध्य रेलवे का एक स्टेशन भी है जो नगर से लगभग एक मील पूर्व दिशा में स्थित है। यहाँ से एक मील से भी कम की दूरी पर पूर्व की ओर एक प्राचीन हिंदू देवालय है जो प्राचीन हिंदू शिल्प विद्या का एस ज्वलंत उदाहरण है। परंतु अब यह खंडहर सा हो गया है। इसके अंतर्गत 1060 ई. का एक प्राचीन शिलालेख पाया गया है। यहाँ की मुख्य मूर्तियों में एक त्रैमस्तकी मूर्ति, जिसके घुटनों पर एक नारी भी उपविष्ट है, मुख्य है। संभवत यह मूर्ति शिव पार्वती को निरूपित करने के हेतु निर्मित की गई थी। यहाँ पर माघ मास (फरवरी-मार्च) में शिवरात्रि के पर्व पर एक मेला लगता है। यहाँ पर दियासलाई का एक कारखाना भी है। क्षेत्रफल 2.6 वर्ग मील है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ