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अपेनाइंस
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 148 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी। |
लेख सम्पादक | राधिका नारायण माथुर। |
अपेनाइंस एक पर्वतश्रेणी है जो इटली प्रायद्वीप के बीच एक ओर से दूसरे छोर तक रीढ़ के समान फैली हुई है। कुल लंबाईं लगभग 800 मील और चौड़ाई 70 से 80 मील तक है। इसके सामान्यत: तीन विभाग हो जाते हैं, उत्तरी, केंद्रीय और दक्षिणी अपेनाइंस। उत्तरी अपेनाइंस के अंतर्गत पश्चिम में लइगूरियन अपेनाइंस और पूर्व में इट्रस्कन अपेनाइंस है। ये दोनों मौसमी क्षति द्वारा अधिक प्रभावित हुए हैं और इस प्रकार इनमें कम ऊँचाई के ही दर्रे बन गए हैं जिससे आवागम सुलभ हो गया है। इट्रस्कन अपेनाइंस मुख्यत: बालुकाश्म, मृत्तिका और चूने की चट्टान द्वारा निर्मित हैं। यहाँ औसत ऊँचाई 3,000 फुट है। मांटी निमोने नामक शिखर 7,097 फुट ऊँचा है। उत्तरी अपेनाइंस की मुख्य नदियाँ स्क्रिविया, ट्रेबिया, टारो और रीनो हैं। इनमें से पहली तीन पो नदी से जा मिलती हैं जब कि रीनों नदी ऐड्रिऐटिक सागर में गिरती है। इस पर्वतीय प्रेदश की दक्षिणी उपजाऊ ढाल पर जैतून इत्यादि की उपज होती है। यहाँ करारा की प्रसिद्ध संगमरमर की खानें स्थित हैं। समीपवर्ती समुद्रतटीय प्रदेश को रिवियरा कहते हैं; यहाँ कई एक रमणीक स्थल हैं जो महत्वपूर्ण पर्यटक केंद्र बन गए हैं।
केंद्रिय अपेनाइंस इट्रस्कन अपेनाइंस के दक्षिण से आरंभ होते हैं। यहाँ चूने की शिलाओं द्वारा निम्रित श्रेणियों की अधिकता है। इस प्रदेश की मुख्य नदी टाइबर है। अनेक अन्य छोटी-छोटी नदियाँ पूर्व की ओर बहकर ऐड्रिऐटिक सागर में गिरती हैं। ऐड्रिऐटिक सागरीय ढाल पर कृषि महत्वपूर्ण है। केंद्रिय अपेनाइंस का उच्चतम शिखर मांटी कार्नो ९9584 फुट उँचा है। कुछ और पश्चिम की ओर कई खनिजों की खानें हैं परंतु स्वयं अपेनाइंस से कोई उपयोगी खनिज नहीं प्राप्त होता है।
दक्षिण अपेनाइंस में अन्य भागों से कुछ विभिन्नताएँ पाई जाती हैं; उदाहरण:; यहाँ समांतर श्रृंखलाओं का अभाव और विच्छिझ पर्वतखंडों की अधिकता है। इस प्रदेश की औसत ऊँचाई मध्य अपेनाइंस से अपेक्षाकृत कम है और उच्चतम शिखर सिरा डोल्सीडोर्मे 7,451 फुट ऊँचा है। पश्चिम की ओर ज्वालामुखी पर्वत स्थित हैं जो मुख्य अपेनाइंस से पृथक् हैं। इनमें नेपुल्स नगर के समीप स्थित विसुविएस अधिक प्रसिद्ध है। यह एक जागृत ज्वालामुखी है। एमीपवर्ती क्षेत्र की लावा द्वारा निर्मित मिट्टी खूब उपजाऊ है। समुद्रवर्ती ढाल पर जैतून की उपज महत्वपूर्ण है।
अपेनाइंस के आर-पार कई एक रेल और सड़क मार्ग हैं। कई स्थानों पर घने वन हैं जिनकी सुरक्षा का प्रबंध सरकार द्वारा होता है। अपेनाइंस के अधिक उँचे भाग शीत ऋतु में हिमाच्छादित रहते हैं।
भूविज्ञान
अपेनाइंस ऐल्प्स-हिमालय-पर्वत-समूह से संबद्ध है। ठीक संबंध का अब भी ब्योरेवार पता नहीं है और वैज्ञानिकों में कुछ मतभेद है। अपेनाइंस में रक्ताश्म (ट्राइऐसिक), महासरट (जूरैसिक), खटी (क्रिटेशियस), प्राकनूतन (इयोसीन) और मध्यनूतन (मायोसीन) युगों के प्रस्तरों की तहें हैं। कहीं-कहीं इनसे भी प्राचीन पत्थर दिखाई पड़ते हैं। प्राकनूतन युग के अंत में पृथ्वी की पर्पटी इस प्रकार दोहरी होने लगी कि अपेनाइंस का जन्म हुआ। सारे मध्यनूतन युग तक यह पर्वत बढ़ता रहा। अतिनूतन (प्लाइओसीन) युग में अपेनाइंस लगभग वर्तमान ऊँचाई तक पहुँच गया, यद्यपि ऊँचा होने की क्रिया और ज्वालामुखियों का सक्रिय होना दोनों आज तक कहीं-कहीं जारी हैं। अपेनाइंस में अब हिमानियाँ (ग्लेशियर) नहीं हैं, परंतु कहीं-कहीं अतिनूतन युग के पश्चात् वे विद्यमान थीं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
सं.गं.---सी.एस. डुरिचे प्रेलर : इटैलियन माउंटेन जिऑलोजी (1924)।