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अफई
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 150 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | निरंकार सिंह । |
अफई छोटा और विषैला साँप है जिसका सिर तिकोना और जिसकी सफेद रंग की भूरी पृष्ठभूमि पर एक तीर का निशान बना रहता है। शरीर धूसरपन लिए हुए भूरा और उसपर पीले चिह्नों की एक श्रंखला होती है। उक्त श्रंखला देह के ऊपर एक वक्र बनाती है। अफई की लंबाई 550 मि.मि. तक पाई गई है। जंतु विज्ञान मे इसका नाम एकिस कैरिनैटस है।
इस साँप का आहार छोटे मेढक, छिपकलियाँ, साँप, बिच्छु तथा अनेक प्रकार के कीट हैं। इन्हे अक्सर खुली चट्टानों पर भी देखा गया है। राजस्थान के रेगिस्तानों में रात के समय इन्हें चलते पाया गया है। महाराष्ट्र के रत्नगिरि जिले मे ये साँ बहुत संख्या में पकड़े गए हैं। देखने में ये बहुत सुंदर होते हैं। इनका रंग बाहरी वातावरण के रंग जैसा होता है इसलिए इन्हें देखने से पहले ही, अधिकांश लोग इसके शिकार हो जाते हैं। मृत्यु कई दिन बाद होती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ