"जेरेबोआम": अवतरणों में अंतर

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*जेरोबोआम दोनों की धार्मिक एकता भी नष्ट कर देना चाहते थे।  
*जेरोबोआम दोनों की धार्मिक एकता भी नष्ट कर देना चाहते थे।  
*येरुसलेम के मंदिर का प्रभाव कम करने के उद्देश्य से उन्होंने अपने राज्य में मंदिर बनवाए जो मूर्तिपूजा के केंद्र बने और जिनके विरोध में अनेक नबी आवाज उठाकर विनाश की भविष्यद्वाणियाँ करने लगे।  
*येरुसलेम के मंदिर का प्रभाव कम करने के उद्देश्य से उन्होंने अपने राज्य में मंदिर बनवाए जो मूर्तिपूजा के केंद्र बने और जिनके विरोध में अनेक नबी आवाज उठाकर विनाश की भविष्यद्वाणियाँ करने लगे।  
*७22 ई. पू. में असीरिया की सेना ने इसराएल को हराकर लोगों को निर्वासित कर दिया।  
*722 ई. पू. में असीरिया की सेना ने इसराएल को हराकर लोगों को निर्वासित कर दिया।  


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

०८:३१, १८ अगस्त २०११ का अवतरण

  • जेरोबोआम या येरोबआम जेरोबोआम प्रथम (९2९-९०९ ई. पू.) इसराएल के सर्वप्रथम राजा थे।
  • वह एफ्राईम वंश के सदस्य थे और प्रारंभ में सुलेमान को सहयोग देते थे। बाद में जब जनता सुलेमान के भारी राज करों का विरोध करने लगी, जेरोबोआम ने उस विद्रोह का समर्थन किया जिससे उनको मिस्र में भाग जाना पड़ा।
  • सुलेमान के मरण के पश्चात्‌ फिलस्तीन लौट कर उन्होंने इसराएल नामक एक नए राज्य की स्थापना की जिसमें उत्तर के दस वंश सम्मिलित हो गए।
  • दक्षिण के दो वंशों ने यहूदिया नामक राज्य स्थापित किया।[१] इस प्रकार सुलेमान के राज्य के दो अलग भाग हो गए।
  • जेरोबोआम दोनों की धार्मिक एकता भी नष्ट कर देना चाहते थे।
  • येरुसलेम के मंदिर का प्रभाव कम करने के उद्देश्य से उन्होंने अपने राज्य में मंदिर बनवाए जो मूर्तिपूजा के केंद्र बने और जिनके विरोध में अनेक नबी आवाज उठाकर विनाश की भविष्यद्वाणियाँ करने लगे।
  • 722 ई. पू. में असीरिया की सेना ने इसराएल को हराकर लोगों को निर्वासित कर दिया।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इब्रानी जाति बारह वंशों में विभक्त थी