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*बेंगलोर के बसवनगुडी मंदिर में किन्नरी वादक का एक चित्र उत्कीर्णित है। | *बेंगलोर के बसवनगुडी मंदिर में किन्नरी वादक का एक चित्र उत्कीर्णित है। |
१३:१५, १८ फ़रवरी २०१४ के समय का अवतरण
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- किन्नरी संस्कृत ग्रंथों में किन्नरी वीणा का उल्लेख हुआ है किंतु इसका आरंभ फारस देश से अनुमान किया जाता है।
- बेंगलोर के बसवनगुडी मंदिर में किन्नरी वादक का एक चित्र उत्कीर्णित है।
- संगीत रत्नाकर में इसका विस्तृत वर्णन है जिसके अनुसार यह तीन तुंबियों पर आधारित दो-ढाई फुट लंबा तंतु वाद्य है।
- इसकी मझली तुंबी बड़ी और अगल बगल की छोटी होती है।
- इसमें दो तार होते हैं जिनमें से एक दूसरे से कुछ ऊँ चाई पर खूँटी से बँधा होता है।
- दाहिने हाथ से तार को छेड़ते हुए बायीं हाथ की उँगली से स्वर स्थान को दबाकर बजाया जाता है।
- आकार के अनुसार इसके तीन भेद हैं बृहती, मध्यमा और लध्वी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ