"वज्रेश्वरी": अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) ('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 10 |पृष्ठ ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति २८: | पंक्ति २८: | ||
<references/> | <references/> | ||
[[Category: हिन्दू देवी देवता]][[Category:हिन्दी | [[Category: हिन्दू देवी-देवता]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
०८:५७, १५ जून २०१५ का अवतरण
वज्रेश्वरी
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 10 |
पृष्ठ संख्या | 375 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | रामप्रसाद त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1975 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख संपादक | जगदीशचंद्र जैन |
संदर्भ ग्रंथ | हजारीप्रसाद द्विवेदी-नाथ संप्रदाय। |
वज्रेश्वरी बौद्धों की देवी है। जिसे वज्रयोगिनी अथवा वज्रबाई भी कहा गया है। आजकल नेपाल में इसकी पूजा की जाती है। कोटेश्वरी, भुवनेश्वरी, वत्सलेश्वरी और गुह्येश्वरी आदि प्राचीन देवियों के साथ इसका उल्लेख है। आगे चलकर इसका बिगड़ा हुआ रूप ब्रजेश्वरी हो गया था। जालंधर पीठ में ब्रजेश्वरी का मंदिर है। पौराणिक मान्यता के अनुसार शिव जी ने सती के मृत शरीर को लेकर जब तांडव नृत्य किया तो उनका शव 84 खंडों में बिखरकर धरती पर गिरा। जालंधर में उनका स्तनभाग गिरा था। यही स्तनपीठ की व्रजेश्वरी देवी कही जाती है। कुछ लोंगो का मानना है कि जालंधर दैत्य का वध करने के कारण शिव पाप से ग्रस्त हो गए थे और जब जालंधर पीठ में आकर उन्होंने तारा देवी की उपासना की तब उनका पाप दूर हुआ था। वैसे यहाँ की अधिष्ठात्री देवी त्रिशक्ति अर्थात् त्रिपुरा, काली ओर तारा हैं, लेकिन स्तन की अधिष्ठात्री व्रजेश्वरी ही मुख्य देवी हैं। इन्हें विद्याराज्ञी भी कहते हैं। स्तनपीठ में विद्याराज्ञी के चक्र और आद्या त्रिपुरा की पिंडी की स्थापना है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ