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*रेल यातायात की दृष्टि से इसका अधिक महत्व है। यह पूर्वोत्तर रेलवे तथा पूर्वोत्तर सीमा रेलवे का संधिस्थान (जंक्शन) है। | *रेल यातायात की दृष्टि से इसका अधिक महत्व है। यह पूर्वोत्तर रेलवे तथा पूर्वोत्तर सीमा रेलवे का संधिस्थान (जंक्शन) है। | ||
*भारतीय रेलवे के अधुनिक क्षेत्रीकरण के पहले भी यह बी.एन.डब्ल्यू. तथा बी.ई. रेलवे का संधिस्थान रह चुका है। | *भारतीय रेलवे के अधुनिक क्षेत्रीकरण के पहले भी यह बी.एन.डब्ल्यू. तथा बी.ई. रेलवे का संधिस्थान रह चुका है। |
०८:२६, १८ अगस्त २०११ का अवतरण
- कटिहार बिहार प्रांत के पूर्वोत्तर भाग में पूर्णिया जिला के सदर सब डिविज़न का एक नगर है (स्थिति 25रू 34फ़ उ.अ. तथा ८7रू 35फ़ पू.दे.)।
- रेल यातायात की दृष्टि से इसका अधिक महत्व है। यह पूर्वोत्तर रेलवे तथा पूर्वोत्तर सीमा रेलवे का संधिस्थान (जंक्शन) है।
- भारतीय रेलवे के अधुनिक क्षेत्रीकरण के पहले भी यह बी.एन.डब्ल्यू. तथा बी.ई. रेलवे का संधिस्थान रह चुका है।
- यहाँ से रेल की एक शाखा दक्षिण की ओर गंगा नदी के किनारे स्थित मनिहारी घाट तक जाती है।
- मनिहारी घाट से सँकरी गली तक गंगा में स्टीमर चलता है।
- इस प्रकार पूर्व रेलवे से भी संबंध स्थापित हो जाता है।
- कटिहार से चावल और सरसों का निर्यात अधिक मात्रा में होता है।
- भेड़ के व्यापार के लिए भी यह स्थान प्रसिद्ध है।
- यहाँ गड़रियों की एक बस्ती है जहाँ कंबल बनाए जाते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
“खण्ड 2”, हिन्दी विश्वकोश, 1975 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 367।