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गैलिलीओ गैलिली (Galileo Galilei, सन् | गैलिलीओ गैलिली (Galileo Galilei, सन् 1564-1642), इटली के खगोलशास्त्री एवं गणितज्ञ, का जन्म 15 फरवरी, सन् 1564 को पीसा (Pisa) में हुआ था। | ||
इनके पिता बेंचेंजियो गैलिली निपुण गणितज्ञ एवं गायक थे। र्गलिलीओ की प्रारंभिक शिक्षा फ्लोरेंस के समीप वालांब्रोज में हुई जहाँ इन्होंने ग्रीक, लैटिन और तर्कशास्त्र का भली भांति अध्ययन किया, परंतु वहाँ पर सिखाए जानेवाले विज्ञान में इनकी रुचि नहीं थी।<ref>15८1 ई.</ref> में ओषधि विज्ञान की शिक्षा के लिये ये पीसाविद्यालय भेजे गए। इनकी मृत्यु ८ जनवरी, | इनके पिता बेंचेंजियो गैलिली निपुण गणितज्ञ एवं गायक थे। र्गलिलीओ की प्रारंभिक शिक्षा फ्लोरेंस के समीप वालांब्रोज में हुई जहाँ इन्होंने ग्रीक, लैटिन और तर्कशास्त्र का भली भांति अध्ययन किया, परंतु वहाँ पर सिखाए जानेवाले विज्ञान में इनकी रुचि नहीं थी।<ref>15८1 ई.</ref> में ओषधि विज्ञान की शिक्षा के लिये ये पीसाविद्यालय भेजे गए। इनकी मृत्यु ८ जनवरी, 1642 ई. को हुई। | ||
गैलिलीओ को गतिविज्ञान का जन्मदाता कहा जाता है। सर्वप्रथम इन्होंने ही अरस्तू के इस विचार का खंडन किया कि वस्तुओं के नीचे गिरने की गति उनके भार की समानुपाती होती है और गति का प्रथम नियम एवं वस्तुओं के नीचे गिरने के नियम ज्ञात किए। वेगवृद्धि और भिन्न भिन्न गतियों की स्वतंत्रता का ज्ञान स्पष्ट रूप से प्राप्त करके, गैलिलीओ यह सिद्ध कर सके कि प्रक्षेप्य परवलीय वक्र में गतिमान् होते हैं। इनका केंद्रापसारी बलों का ज्ञान था और आवेग की इन्होंने सही सही परिभाषा दी। ये स्थिति-विज्ञान के मूलभूत सिद्धांत 'बल-समांतर-चतुर्भुज' के आविष्कारक थे। ये अच्छे गायक थे और चित्रकारी में भी इनकी रुचि थी। | गैलिलीओ को गतिविज्ञान का जन्मदाता कहा जाता है। सर्वप्रथम इन्होंने ही अरस्तू के इस विचार का खंडन किया कि वस्तुओं के नीचे गिरने की गति उनके भार की समानुपाती होती है और गति का प्रथम नियम एवं वस्तुओं के नीचे गिरने के नियम ज्ञात किए। वेगवृद्धि और भिन्न भिन्न गतियों की स्वतंत्रता का ज्ञान स्पष्ट रूप से प्राप्त करके, गैलिलीओ यह सिद्ध कर सके कि प्रक्षेप्य परवलीय वक्र में गतिमान् होते हैं। इनका केंद्रापसारी बलों का ज्ञान था और आवेग की इन्होंने सही सही परिभाषा दी। ये स्थिति-विज्ञान के मूलभूत सिद्धांत 'बल-समांतर-चतुर्भुज' के आविष्कारक थे। ये अच्छे गायक थे और चित्रकारी में भी इनकी रुचि थी। |
०७:३९, १८ अगस्त २०११ का अवतरण
गैलिलियो गैलीली
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 2 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | फूलदेव सहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | राम कुमार |
गैलिलीओ गैलिली (Galileo Galilei, सन् 1564-1642), इटली के खगोलशास्त्री एवं गणितज्ञ, का जन्म 15 फरवरी, सन् 1564 को पीसा (Pisa) में हुआ था। इनके पिता बेंचेंजियो गैलिली निपुण गणितज्ञ एवं गायक थे। र्गलिलीओ की प्रारंभिक शिक्षा फ्लोरेंस के समीप वालांब्रोज में हुई जहाँ इन्होंने ग्रीक, लैटिन और तर्कशास्त्र का भली भांति अध्ययन किया, परंतु वहाँ पर सिखाए जानेवाले विज्ञान में इनकी रुचि नहीं थी।[१] में ओषधि विज्ञान की शिक्षा के लिये ये पीसाविद्यालय भेजे गए। इनकी मृत्यु ८ जनवरी, 1642 ई. को हुई।
गैलिलीओ को गतिविज्ञान का जन्मदाता कहा जाता है। सर्वप्रथम इन्होंने ही अरस्तू के इस विचार का खंडन किया कि वस्तुओं के नीचे गिरने की गति उनके भार की समानुपाती होती है और गति का प्रथम नियम एवं वस्तुओं के नीचे गिरने के नियम ज्ञात किए। वेगवृद्धि और भिन्न भिन्न गतियों की स्वतंत्रता का ज्ञान स्पष्ट रूप से प्राप्त करके, गैलिलीओ यह सिद्ध कर सके कि प्रक्षेप्य परवलीय वक्र में गतिमान् होते हैं। इनका केंद्रापसारी बलों का ज्ञान था और आवेग की इन्होंने सही सही परिभाषा दी। ये स्थिति-विज्ञान के मूलभूत सिद्धांत 'बल-समांतर-चतुर्भुज' के आविष्कारक थे। ये अच्छे गायक थे और चित्रकारी में भी इनकी रुचि थी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 15८1 ई.