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'''दार्दिस्तान''' भारत की उत्तरी पश्चिमी सीमा का परंपरागत क्षेत्र था। इसके अंतर्गत चित्राल, यासिन, पेंन्याल, गिलगिट घाटी, हुजा एवं नागार बुंजी से वातेरा तक की सिंधु घाटी अस्तोर घाटी तथा कोहिस्तान मालाजाई क्षेत्र थे। आर्यों की दार्द नामक जाति यहाँ रहती थी। इसका उल्लेख प्लिनी एवं टालिमी नामक इतिहासवेत्ताओं ने भी किया है। | '''दार्दिस्तान''' [[भारत]] की उत्तरी पश्चिमी सीमा का परंपरागत क्षेत्र था। | ||
*इसके अंतर्गत चित्राल, यासिन, पेंन्याल, गिलगिट घाटी, हुजा एवं नागार बुंजी से वातेरा तक की सिंधु घाटी अस्तोर घाटी तथा कोहिस्तान मालाजाई क्षेत्र थे। | |||
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११:११, २३ सितम्बर २०१५ का अवतरण
दार्दिस्तान
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 6 |
पृष्ठ संख्या | 33 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
लेखक | अजितनारायण मेहरोत्रा |
संपादक | फुलदेवसहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1966 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
दार्दिस्तान भारत की उत्तरी पश्चिमी सीमा का परंपरागत क्षेत्र था।
- इसके अंतर्गत चित्राल, यासिन, पेंन्याल, गिलगिट घाटी, हुजा एवं नागार बुंजी से वातेरा तक की सिंधु घाटी अस्तोर घाटी तथा कोहिस्तान मालाजाई क्षेत्र थे।
- आर्यों की 'दार्द' नामक जाति यहाँ रहती थी। इसका उल्लेख प्लिनी एवं टालिमी नामक इतिहासवेत्ताओं ने भी किया है।
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