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१२:११, १ जून २०१८ के समय का अवतरण
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अर्गट
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 237 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
अर्गट एक दवा है जिससे अनैच्छिक मांसपेशियों में संकोच होता है और इसलिए प्रसव के बाद असामान्य रक्तस्राव रोकने के लिए स्त्रियों को दिया जाता है। अधिक मात्रा में खाने पर यह तीव्र विष का गुण दिखाता है। नीवारिका (अंग्रेजी में राई) नाम के निकृष्ट अन्न में बहुधा एक विशेष प्रकार की फफूँदी (भुकड़ी) लग जाती है जिससे वह अन्न विषाक्त हो जाता है। इसी फफूँदी (लैटिन नाम क्लैवीसेप्स परप्यूरिया) से अर्गट निकाला जाता है। इस फफूँदी लगी नीवारिका को खाने से जीर्ण विषाक्तता (क्रानिक पॉयज़निंग) रोग हो जाने का खतरा रहता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ