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आम्रकार्दव
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 394 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | ओमकार नाथ उपाध्याय |
आम्रकार्दव चंद्रगुप्त (द्वितीय) विक्रमादित्य (ल. 375-414 ई.) का सेनापति। वह बौद्ध था और साँची के एक अभिलेख से प्रमाणित होता है कि उसने 25 दीनार और एक गाँव वहाँ के आर्यसंघ (बौद्धसंघ) को दान में अर्पित किए थे। आम्रकार्दव का नाम विशेषत: गुप्तों की धार्मिक सहिष्णुता के प्रमाण में उदधृत किया जाता है। चंद्रगुप्त विक्रमानदित्य परम भागवत, परम वैष्णव थे, परंतु सेनापति के पद इस बौद्ध को नियुक्त करने में उन्हें आपत्ति नहीं हुई।
टीका टिप्पणी और संदर्भ