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आखिया खारस
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 347 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | डॉ. भोलानाथ शर्मा |
आखिया खारस (अथवा अहिकार) अस्सीरिया के राजा सिनाख़िरीब को परामर्श देने वाला एक प्राचीन मनीषी। इसकी जीवनकथा तथा सूक्तियाँ सीरिया, अरब, इथियोपिया, आर्मेनिया, रूमानिया और तुर्की की प्राचीन भाषाओं में उपलब्ध हैं। इसने अपने भतीजे नादान को दत्तक पुत्र के रूप में रख लिया था। पर नादान ने इसका विनाश करने का प्रयत्न किया, किंतु वह भूमिगृह में छिपकर किसी प्रकार बच गया। वह प्रकट हुआ तब जब राजा को उसके परामर्श की आवश्यकता पड़ी। अत: उसने अपने प्रभाव को पुन: प्राप्त कर लिया। उसने अधर में प्रासाद का निर्माण करके तथा बालू की रस्सी बटकर मिस्र के सम्राट् को संतुष्ट किया। इसके पश्चात् उसने नादान को समुचित दंड दिया और उसकी लगातार भर्त्सना की। आखिया खारस की कथा ई.पू. ५वीं शताब्दी से भी अधिक पुरानी है।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं.-कोनीबियर इत्यादि : स्टोरी ऑव अहिकर।