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अग्रिकोला जार्ज
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 78,79 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | महाराजनरायण महरोत्रा। |
अग्रिकोला, जार्ज जर्मन वैज्ञानिक, का जन्म 24 मार्च, 1490 को सैक्सनी में ग्लाउखाउ स्थान में हुआ। आपकी उच्च शिक्षा लाइपत्सिग विश्वविद्यालय में हुई। 1517 में आपने यहीं से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। तत्पश्चात् आप स्विकाउ में म्युनिसिपल स्कूल में कार्य करने लगे। 1524 में आपने औषधिविज्ञान का अध्ययन आरंभ किया और इटली के विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त की। सन् 1527 में आपकी नियुक्ति जोआचिमस्थल (बोहेमिया) में नगर डाक्टर के पद पर हो गई। 1530 में आप केम्नित्स चले आए।
प्रारंभ से ही आपकी रुचि खनिज विज्ञान के अध्ययन की ओर थी। केम्नित्स (जर्मनी) जैसे खनन केंद्र में पहुँचने पर आपको और भी प्रोत्साहन मिला। आपके ग्रंथों में दे रि मेतालिका सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह 12 भागों में है। इस ग्रंथ के अंतर्गत भौमिकी, खनन तथा धात्वकी तीनों विषय आ जाते हैं। यह ग्रंथ मूलत लातीनी में प्रकाशित हुआ था, पर इसका अनुवाद अंग्रेजी, जर्मन तथा इटालियन भाषाओं में भी हुआ।
आपकी दूसरी महत्वपूर्ण कृति है दे नातुरा फ़ासिलियम। दस भागों में प्रकाशित इस ग्रंथ में खनिजों तथा उनके वर्गीकरण का वर्णन है। 1546 में आपका भौमिक विषयक ग्रंथ दे ओर्तु एत कोसिस सबतेरानिओरम प्रकाशित हुआ। भौतिक भौमिकी पर यह पहला वैज्ञानिक ग्रंथ है। इनके अतिरिक्त आपकी अन्य महत्वपूर्ण रचनाएँ निम्नलिखित हैं: बरमैनस तथा दोमिनातोरेस साक्सेनिकी आ प्रिमा ओरिजिने अद हाउक ईतात्यूर। केम्नित्स में ही आपकी मृत्यु 21 नवंबर, 1555 को हुई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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अग्रिकोला जार्ज
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 78,79 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | महाराजनरायण महरोत्रा। |
अग्रिकोला, जार्ज जर्मन वैज्ञानिक, का जन्म 24 मार्च, 1490 को सैक्सनी में ग्लाउखाउ स्थान में हुआ। आपकी उच्च शिक्षा लाइपत्सिग विश्वविद्यालय में हुई। 1517 में आपने यहीं से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। तत्पश्चात् आप स्विकाउ में म्युनिसिपल स्कूल में कार्य करने लगे। 1524 में आपने औषधिविज्ञान का अध्ययन आरंभ किया और इटली के विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त की। सन् 1527 में आपकी नियुक्ति जोआचिमस्थल (बोहेमिया) में नगर डाक्टर के पद पर हो गई। 1530 में आप केम्नित्स चले आए।
प्रारंभ से ही आपकी रुचि खनिज विज्ञान के अध्ययन की ओर थी। केम्नित्स (जर्मनी) जैसे खनन केंद्र में पहुँचने पर आपको और भी प्रोत्साहन मिला। आपके ग्रंथों में दे रि मेतालिका सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह 12 भागों में है। इस ग्रंथ के अंतर्गत भौमिकी, खनन तथा धात्वकी तीनों विषय आ जाते हैं। यह ग्रंथ मूलत लातीनी में प्रकाशित हुआ था, पर इसका अनुवाद अंग्रेजी, जर्मन तथा इटालियन भाषाओं में भी हुआ।
आपकी दूसरी महत्वपूर्ण कृति है दे नातुरा फ़ासिलियम। दस भागों में प्रकाशित इस ग्रंथ में खनिजों तथा उनके वर्गीकरण का वर्णन है। 1546 में आपका भौमिक विषयक ग्रंथ दे ओर्तु एत कोसिस सबतेरानिओरम प्रकाशित हुआ। भौतिक भौमिकी पर यह पहला वैज्ञानिक ग्रंथ है। इनके अतिरिक्त आपकी अन्य महत्वपूर्ण रचनाएँ निम्नलिखित हैं: बरमैनस तथा दोमिनातोरेस साक्सेनिकी आ प्रिमा ओरिजिने अद हाउक ईतात्यूर। केम्नित्स में ही आपकी मृत्यु 21 नवंबर, 1555 को हुई।
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