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१२:०७, २० नवम्बर २०११ का अवतरण
काल्विन कूलिज
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 87 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | राजेंद्र अवस्थी |
कूलिज, काल्विन संयुक्त राष्ट्र अमरीका के तीसवें राष्ट्रपति। इनका जन्म ४ जुलाई, सन् १८७२ ई. को प्लीमथ में हुआ था। उन्होंने १८९७ ई. में अध्ययन समाप्त कर वकालत प्रारंभ की और शीघ्र ही राजनीति में रुचि लेने लगे। १८९९ ई. में नार्थैंपटन के कौंसिल सभासद निर्वाचित हुए। १९०७-०८ ई. में उन्होंने मेसाचूसेट्स राज्य की विधायक सभा के सदस्य रहे। तदुपरांत १९१०-११ ई. में वे नार्थैं पटन नगर के मेयर के रहे। १९११ ई. में रिपब्लिकन दल की ओर से राज्य के सिनेटर हुए और १९१४ तथा १९१५ ई. में वे सिनेट के अध्यक्ष रहे। तदुपरांत वे १९१६ से १९१८ ई. तक मेसाचूसेट्स के लेफ्टिनेंट गवर्नर और उसके बाद १९१९ और १९२० ई. में उसी राज्य के गवर्नर हुए। गवर्नर की हैसियत से उन्होंने राजस्व व्यय के बजट को विधायक सभा की विधिवत् अनुमति प्राप्त करने की परंपरा स्थापित की और प्रशासनिक सूत्रों को कम करने के लिए अनेक कानून स्वीकृत कराए। उन्हें राष्ट्रीय ख्याति उस समय मिली जब सितंबर, १९१९ ई. में अमेरिकन फ़ेडरेशन ऑव लेबर में सम्मिलित होने की कमिश्नर द्वारा अनुमति प्राप्त न होने पर बोस्टन की पुलिस की हड़ताल का दृढ़तापूर्वक सामना किया और उसे असफल बना दिया। इससे वे जनता की दृष्टि में ऊँ चे उठे और १९२० ई. के नवंबर में संयुक्त राष्ट्र अमरीका के उपराष्ट्रपति चुने गए।
उपराष्ट्रपति के रूप में मंत्रिमंडल की बैठकों में उपस्थित होनेवाले वे पहले व्यक्ति थे। ३ अगस्त, सन १९२३ को, राष्ट्रपति हार्डिज की मृत्यु होने पर वे राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति की हैसियत से उन्होंने जो कार्य किए उनसे राज्यसमृद्धि में वृद्धि हुई और जनता का विश्वास उन्हें प्राप्त हुआ; और रिपब्लिकन दल में सौमनस्य का अभाव रहते हुए भी वे १९२५ ई. में अत्यधिक मत से राष्ट्रपति निर्वाचित हुए।
उनकी गृहनीति की प्रमुख विशेषताएँ प्रशासन संबंधी व्यय तथा करों में कमी, औद्योगिक विषयों में हस्तक्षेप न करना, स्थानीय सरकार की सुदृढ़ता, विधान के प्रति आज्ञाकारिता तथा धार्मिक सहिष्णुता आदि थीं। ४ मार्च, १९२९ ई. को उन्होंने राष्ट्रपति के पद से अवकाश ग्रहण किया और उसी वर्ष अपनी आत्मकथा प्रकाशित की। ५ जनवरी, १९३५ ई. को नार्थैंपटन में उनका देहांत हुआ।
टीका टिप्पणी और संदर्भ