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'''अजामिल''' कान्यकुब्ज का एक ब्राह्मण जो अपनी पापलिप्सा के लिए कुख्यात था। ऐसी पौराणिक कहानी है कि उसने अपने अंतिम समय में अपने पुत्र नारायण को, समीप बुलाया जिससे नामस्मरण मात्र से उसे सद्गति प्राप्त हो गई। | '''अजामिल''' कान्यकुब्ज का एक ब्राह्मण जो अपनी पापलिप्सा के लिए कुख्यात था। ऐसी पौराणिक कहानी है कि उसने अपने अंतिम समय में अपने पुत्र नारायण को, समीप बुलाया जिससे नामस्मरण मात्र से उसे सद्गति प्राप्त हो गई। | ||
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०६:१९, १२ मार्च २०१३ का अवतरण
अजामिल
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 84 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | चंद्रचूड़ मणि। |
अजामिल कान्यकुब्ज का एक ब्राह्मण जो अपनी पापलिप्सा के लिए कुख्यात था। ऐसी पौराणिक कहानी है कि उसने अपने अंतिम समय में अपने पुत्र नारायण को, समीप बुलाया जिससे नामस्मरण मात्र से उसे सद्गति प्राप्त हो गई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ