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{{लेख सूचना | |||
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 | |||
|पृष्ठ संख्या=356 | |||
|भाषा= हिन्दी देवनागरी | |||
|लेखक =निरंकार सिंह | |||
|संपादक=सुधाकर पांडेय | |||
|आलोचक= | |||
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|प्रकाशक=नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी | |||
|मुद्रक=नागरी मुद्रण वाराणसी | |||
|संस्करण=सन् 1975 ईसवी | |||
|स्रोत= | |||
|उपलब्ध=भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | |||
|कॉपीराइट सूचना=नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी | |||
|टिप्पणी= | |||
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|अन्य जानकारी= | |||
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कंप्यूटर का निर्माण बीसवीं शताब्दी के चौथे दशक में हुआ था। प्रारंभ में इसका उपयोग केवल गणना के लिए किया गया। अंग्रेजी के 'कंप्यूट' शब्द का अर्थ 'गणना करना' ही है। कंप्यूटर या 'गणक' शब्द इसी से बना है। इसलिए इस मशीन को कंप्यूटर कहा गया। धीरे-धीरे कंप्यूटर का विकासहोता गया और इसके निर्माण में इलेक्ट्रानिक ट्यूबों का प्रयोग होने लगा। बाद में इलेक्ट्रानिक ट्यूबों की जगह ट्रांजिस्ट्ररों का प्रयोग होने लगा। इलेक्ट्रानिकी के विकास के साथ-साथ कंप्यूटरों की रूपरेखा में भी परिवर्तन होता गया। इसी शताब्दी के छठे दशक से कंप्यूटरों में संकलित परिपथों (इंडीग्रेटेड सर्किट) का उपयोग होने लगा। | कंप्यूटर का निर्माण बीसवीं शताब्दी के चौथे दशक में हुआ था। प्रारंभ में इसका उपयोग केवल गणना के लिए किया गया। अंग्रेजी के 'कंप्यूट' शब्द का अर्थ 'गणना करना' ही है। कंप्यूटर या 'गणक' शब्द इसी से बना है। इसलिए इस मशीन को कंप्यूटर कहा गया। धीरे-धीरे कंप्यूटर का विकासहोता गया और इसके निर्माण में इलेक्ट्रानिक ट्यूबों का प्रयोग होने लगा। बाद में इलेक्ट्रानिक ट्यूबों की जगह ट्रांजिस्ट्ररों का प्रयोग होने लगा। इलेक्ट्रानिकी के विकास के साथ-साथ कंप्यूटरों की रूपरेखा में भी परिवर्तन होता गया। इसी शताब्दी के छठे दशक से कंप्यूटरों में संकलित परिपथों (इंडीग्रेटेड सर्किट) का उपयोग होने लगा। | ||
०८:१३, २९ जुलाई २०११ का अवतरण
कंप्यूटर
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 356 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
लेखक | निरंकार सिंह |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1975 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
कंप्यूटर का निर्माण बीसवीं शताब्दी के चौथे दशक में हुआ था। प्रारंभ में इसका उपयोग केवल गणना के लिए किया गया। अंग्रेजी के 'कंप्यूट' शब्द का अर्थ 'गणना करना' ही है। कंप्यूटर या 'गणक' शब्द इसी से बना है। इसलिए इस मशीन को कंप्यूटर कहा गया। धीरे-धीरे कंप्यूटर का विकासहोता गया और इसके निर्माण में इलेक्ट्रानिक ट्यूबों का प्रयोग होने लगा। बाद में इलेक्ट्रानिक ट्यूबों की जगह ट्रांजिस्ट्ररों का प्रयोग होने लगा। इलेक्ट्रानिकी के विकास के साथ-साथ कंप्यूटरों की रूपरेखा में भी परिवर्तन होता गया। इसी शताब्दी के छठे दशक से कंप्यूटरों में संकलित परिपथों (इंडीग्रेटेड सर्किट) का उपयोग होने लगा।
बैंक में एकाउंट, विश्वविद्यालय के परीक्षाफल, एक भाषा से दूसरी भाषा के अनुवाद, शतरंज के खेज, ट्राफ़िक का नियंत्रण, मौसम की सूचना, हवाई जहाज की रचना, संगीत काव्य का निर्माण, आज सभी कुछ कंप्यूटर के अधिकार क्षेत्र में है
टीका टिप्पणी और संदर्भ
“खण्ड 2”, हिन्दी विश्वकोश, 1975 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 356।