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{{लेख सूचना | |||
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 | |||
|पृष्ठ संख्या=376 | |||
|भाषा= हिन्दी देवनागरी | |||
|लेखक = | |||
|संपादक=सुधाकर पांडेय | |||
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|प्रकाशक=नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी | |||
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|संस्करण=सन् 1975 ईसवी | |||
|स्रोत= | |||
|उपलब्ध=भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | |||
|कॉपीराइट सूचना=नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी | |||
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|शीर्षक 1=लेख सम्पादक | |||
|पाठ 1=रामवृक्ष सिंह | |||
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*कडलोर भारत का एक नगर है जो तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी अर्काट जिले में मद्रास नगर से १९० कि.मी. तथा पांडिचेरी से १९ कि.मी. की दूरी पर मद्रास त्रिचनापल्ली सड़क पर स्थित है। | *कडलोर भारत का एक नगर है जो तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी अर्काट जिले में मद्रास नगर से १९० कि.मी. तथा पांडिचेरी से १९ कि.मी. की दूरी पर मद्रास त्रिचनापल्ली सड़क पर स्थित है। | ||
*यहाँ की जलवायु अच्छी है। | *यहाँ की जलवायु अच्छी है। |
०९:०५, ३० जुलाई २०११ का अवतरण
कडलोर
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 376 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1975 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | रामवृक्ष सिंह |
- कडलोर भारत का एक नगर है जो तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी अर्काट जिले में मद्रास नगर से १९० कि.मी. तथा पांडिचेरी से १९ कि.मी. की दूरी पर मद्रास त्रिचनापल्ली सड़क पर स्थित है।
- यहाँ की जलवायु अच्छी है।
- यह आसपास के जिलों का स्वास्थ्यवर्धक केंद्र है।
- पोनेयर तथा गदिलम नदियाँ इस नगर से बहती हुई समुद्र में गिरती हैं।
- इसका नाम संभवत: 'कुदल-उर' का विकृत रूप है, जिसका अर्थ दो नदियों का संगम है।
- १८८४ ई. में बाढ़ का पानी नगर के बीच से बहने लगा था।
- यहाँ से गन्ना और तेलहन बाहर भेजा जाता हे।
- यह नगर संत डेविड के किले के लिए प्रख्यात हे जो खंडहर के रूप में गदिलम नदी के किनारे स्थित है।
- इस किले का निर्माण एक हिंदू व्यापारी ने कराया था।
- सन् १६७७ ई. में यह शिवाजी के हाथ में चला आया।
- तब से इसका नाम संत डेविड का किला हो गया।
- सन् १७५६ ई. में रॉबर्ट क्लाइव यहाँ का गर्वनर नियुक्त किया गया।
- १७५८ ई. में फ्रांसीसियों ने इसको अपने अधिकार में कर लिया।
- १७८५ ई. में यह पुन: अंग्रेजों के हाथ में चला आया।
- बाफ्ता की बुनाई यहाँ का मुख्य उद्योग है।
- जेल के कैदी दरी, गमछे तथा अन्य सूती कपड़े बुनते हैं।
- यहाँ दो महाविद्यालय हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
“खण्ड 2”, हिन्दी विश्वकोश, 1975 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 376।