"उग्रचंडी": अवतरणों में अंतर
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'''उग्रचंडी''' [[हिन्दू धर्म]] में मान्य [[दुर्गा|देवी दुर्गा]] का ही एक नाम है। [[दक्ष|प्रजापति दक्ष]] ने अपने [[यज्ञ]] में सभी [[देवता|देवताओं]] को बलि दी, लेकिन उसने भगवान [[शिव]] और [[सती]] को बलि नहीं दी। इससे क्रुद्ध होकर, अपमान का प्रतिकार करने के लिए इन्होंने उग्रचंडी के रूप में अपने [[पिता]] के यज्ञ का विध्वंस किया था। | '''उग्रचंडी''' [[हिन्दू धर्म]] में मान्य [[दुर्गा|देवी दुर्गा]] का ही एक नाम है। [[दक्ष|प्रजापति दक्ष]] ने अपने [[यज्ञ]] में सभी [[देवता|देवताओं]] को बलि दी, लेकिन उसने भगवान [[शिव]] और [[सती]] को बलि नहीं दी। इससे क्रुद्ध होकर, अपमान का प्रतिकार करने के लिए इन्होंने उग्रचंडी के रूप में अपने [[पिता]] के यज्ञ का विध्वंस किया था। | ||
१२:४०, २ फ़रवरी २०१४ के समय का अवतरण
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उग्रचंडी हिन्दू धर्म में मान्य देवी दुर्गा का ही एक नाम है। प्रजापति दक्ष ने अपने यज्ञ में सभी देवताओं को बलि दी, लेकिन उसने भगवान शिव और सती को बलि नहीं दी। इससे क्रुद्ध होकर, अपमान का प्रतिकार करने के लिए इन्होंने उग्रचंडी के रूप में अपने पिता के यज्ञ का विध्वंस किया था।
- उग्रचंडी हाथों की संख्या 18 मानी जाती है।
- आश्विन महीने में कृष्ण पक्ष की नवमी के दिन शाक्त मतावलंबी विशेष रूप से उग्रचंडी की पूजा करते हैं।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कैलास चन्द्र शर्मा, हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2, पृष्ठ संख्या 52