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*कृष्णदास पयहारी रामानंदी संप्रदाय के प्रमुख आचार्य और कवि। | *कृष्णदास पयहारी रामानंदी संप्रदाय के प्रमुख आचार्य और कवि। | ||
*इनका समय सोलहवीं शती ई. कहा जाता है। | *इनका समय सोलहवीं शती ई. कहा जाता है। |
१३:११, ९ अप्रैल २०१४ के समय का अवतरण
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- कृष्णदास पयहारी रामानंदी संप्रदाय के प्रमुख आचार्य और कवि।
- इनका समय सोलहवीं शती ई. कहा जाता है।
- ये ब्राह्मण थे और जयपुर के निकट गलता नामक स्थान पर रहते थे और केवल दूध पीते थे।
- ये रामानंद के शिष्य अनंतानंद के शिष्य थे और आमेर के राजा पृथ्वीराज की रानी बाला बाई के दीक्षागुरू थे।
- कहा जाता है कि इन्होंने कापालिक संप्रदाय के गुरु चतुरनाथ को शास्त्रार्थ में पराजित किया था इससे इन्हें महंत का पद प्राप्त हुआ था।
- ये संस्कृत भाषा के पंडित थे और ब्रजभाषा के कवि थे।
- ब्रह्मगीता, प्रेमसत्वनिरूप इनके मुख्य ग्रंथ हैं।
- इनके ब्रजभाषा के अनेक पद प्राप्त होते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ