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*इस नगर का नाम एक संत के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है, उस संत को अंबादेवी का अभय वरदान मिला था। | *इस नगर का नाम एक संत के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है, उस संत को अंबादेवी का अभय वरदान मिला था। | ||
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*यह नगर एक पक्की सड़क द्वारा मुर्तजापुर से संबद्ध है। | *यह नगर एक पक्की सड़क द्वारा मुर्तजापुर से संबद्ध है। | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
१३:३६, ३० अगस्त २०१४ का अवतरण
करंजा
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| पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
| पृष्ठ संख्या | 414 |
| भाषा | हिन्दी देवनागरी |
| संपादक | सुधाकर पांडेय |
| प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
| मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
| संस्करण | सन् 1975 ईसवी |
| उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
| कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
| लेख सम्पादक | बच्चाप्रसाद राव |
करंजा
- अकोला जिले के मुर्तजापुर नामक ताल्लुके का एक प्रमुख नगर है।
- इसकी स्थिति २०रू २९फ़ उ.अ. तथा ७७रू ३०फ़ पू.दे. है।
- इस नगर का नाम एक संत के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है, उस संत को अंबादेवी का अभय वरदान मिला था।
- आज भी एक सरोवर तथा मंदिर उस संत से संबंधित बताए जाते हैं।
- इस नगर के बाहर अनेक भग्नावशेष हैं जो इसके प्राचीन इतिहास पर अस्पष्ट प्रकाश डालते हैं।
- ऐसा ज्ञात होता है कि पहले इस नगर के चारों ओर प्राचीन था जो समतल सा हो गया है।
- यह नगर एक पक्की सड़क द्वारा मुर्तजापुर से संबद्ध है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ