"किशनगढ़": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
छो (Text replace - "५" to "5")
छो (Text replace - "६" to "6")
पंक्ति १: पंक्ति १:
*किशनगढ़ अजमेर से रेल द्वारा 1८ मील उत्तरपश्चिम में स्थित नगर है <ref>स्थिति 3६.34 उ. अक्षांश तथा ७4. 53 पूर्व देशांतर</ref>।  
*किशनगढ़ अजमेर से रेल द्वारा 1८ मील उत्तरपश्चिम में स्थित नगर है <ref>स्थिति 36.34 उ. अक्षांश तथा ७4. 53 पूर्व देशांतर</ref>।  
*लगभग एक वर्गमील क्षेत्र में फैले हुए गुंडलाव झील के तट पर स्थित इस नगर तथा किले का दृश्य अत्यंत मनोहर है।  
*लगभग एक वर्गमील क्षेत्र में फैले हुए गुंडलाव झील के तट पर स्थित इस नगर तथा किले का दृश्य अत्यंत मनोहर है।  
*नगर के पास ही मदनगंज नामक एक उपनगर विकसित हुआ है।  
*नगर के पास ही मदनगंज नामक एक उपनगर विकसित हुआ है।  
*कपड़े की बुनाई तथा कपड़े एवं गल्ले का निर्यात यहाँ के प्रमुख धंधे हैं।  
*कपड़े की बुनाई तथा कपड़े एवं गल्ले का निर्यात यहाँ के प्रमुख धंधे हैं।  
*नगर के पास ही संगमरमर, आबलु पत्थर तथा अभ्रक की खदानें हैं।
*नगर के पास ही संगमरमर, आबलु पत्थर तथा अभ्रक की खदानें हैं।
*इस नगर की स्थापना 1६11 ई. में जोधपुर नरेश उदयसिंह के पुत्र किशनसिंह ने की थीं।  
*इस नगर की स्थापना 1611 ई. में जोधपुर नरेश उदयसिंह के पुत्र किशनसिंह ने की थीं।  
*बड़े भाई से अनबन हो जा ने के कारण किशनसिंह अजमेर चले आए और अपनी सेवाओं से मुगल सम्राट् अकबर और जहाँगीर को प्रसन्न किया।  
*बड़े भाई से अनबन हो जा ने के कारण किशनसिंह अजमेर चले आए और अपनी सेवाओं से मुगल सम्राट् अकबर और जहाँगीर को प्रसन्न किया।  
*जहाँगीर ने उन्हें महाराजा की उपाधि और कुछ जागीर प्रदान की।  
*जहाँगीर ने उन्हें महाराजा की उपाधि और कुछ जागीर प्रदान की।  

०७:३८, १८ अगस्त २०११ का अवतरण

  • किशनगढ़ अजमेर से रेल द्वारा 1८ मील उत्तरपश्चिम में स्थित नगर है [१]
  • लगभग एक वर्गमील क्षेत्र में फैले हुए गुंडलाव झील के तट पर स्थित इस नगर तथा किले का दृश्य अत्यंत मनोहर है।
  • नगर के पास ही मदनगंज नामक एक उपनगर विकसित हुआ है।
  • कपड़े की बुनाई तथा कपड़े एवं गल्ले का निर्यात यहाँ के प्रमुख धंधे हैं।
  • नगर के पास ही संगमरमर, आबलु पत्थर तथा अभ्रक की खदानें हैं।
  • इस नगर की स्थापना 1611 ई. में जोधपुर नरेश उदयसिंह के पुत्र किशनसिंह ने की थीं।
  • बड़े भाई से अनबन हो जा ने के कारण किशनसिंह अजमेर चले आए और अपनी सेवाओं से मुगल सम्राट् अकबर और जहाँगीर को प्रसन्न किया।
  • जहाँगीर ने उन्हें महाराजा की उपाधि और कुछ जागीर प्रदान की।
  • उसी जागीर पर इस स्थापना हुई।
  • अंगरेजी शासन-काल में यह ८5८ वर्ग की मील एक देशी रियासत थी। देशी रियासतों के विलयन के बाद अब यह अजमेर जिले की एक तहसील बन गई है।
  • भारतीय चित्रकला के इतिहास में राजस्थानी चित्रकला की एक विशिष्ट शैली को, जो किशनगढ़ शैली के नाम से प्रसिद्ध है, जन्म देने का गौरव इसे प्राप्त है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. स्थिति 36.34 उ. अक्षांश तथा ७4. 53 पूर्व देशांतर