"अब्राहम गोल्डफेडेन": अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "७" to "7") |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "८" to "8") |
||
पंक्ति २४: | पंक्ति २४: | ||
अब्राहम गोल्डफेडेन (Goldfaden Abraham) (जन्म-उक्रेन सन् | अब्राहम गोल्डफेडेन (Goldfaden Abraham) (जन्म-उक्रेन सन् 184०, मृत्यु-न्यूयार्क 1९०8) अब्राहम गोल्डफेडेन यहूदी थे। इन्होंने अपने साहित्यिक जीवन का प्रारंभ सन् 1868 में इब्रानी भाषा में कविता लिखकर किया। लेकिन कुछ ही समय बाद इन्होंने यहूदियों द्वारा सामान्य रूप से बोली जानेवाली यिद्दिश भाषा को अपनी साहित्यिक अभिव्यक्ति का माध्यम चुन लिया और बाद की इनकी सारी रचनाएँ इसी भाषा में हैं। कविता के अतिरिक्त इन्होंने नाटक के क्षेत्र में बड़ा महत्वपूर्ण कार्य किया। आधुनिक यिद्दिश रंगमंच की नींव सर्वप्रथम इन्होंने ही डाली। सन् 1876 में इन्होंने पहला यिद्दिश थियेटर रूमानिया के जेसी (Jassy) नगर में स्थापित किया। सन् 1875 में रूस छोड़ने के बाद इन्होंने लंबर्ग (Lemberg) में व्यंग्यात्मक शैली में निकलनेवाली साप्ताहिक पत्रिका यिज्ऱोलिक (Yisrolik) द्वारा पत्रकारिता के क्षेत्र में पदार्पण किया। बाद में ये रूस लौट आए और अपनी नाट्यमंडली के साथ प्राय: सभी बड़े नगरों का भ्रमण किया। जहाँ कहीं इन्होंने अपने नाटको का प्रदर्शन किया, जनता ने उत्साह के साथ उनका स्वागत किया। | ||
इनकी सफलता से तत्कालीन शासक घबड़ा उठे और उन्होंने सन् | इनकी सफलता से तत्कालीन शासक घबड़ा उठे और उन्होंने सन् 1883 में थियेटर पर प्रतिबंध लगा दिया। सन् 1887 में ये पहली बार न्यूयार्क गए और 1९०3 में वहीं बस गए। इनकी कविताएँ और नाटक इनकी मृत्यु के बाद भी जनता में पहले ही की तरह लोकप्रिय रहे। इनकी कुछ कविताओं को लोकगीत के रूप में व्यापक ख्याति मिली। इनमें यहूदी वातावरण में रहनेवाली समान्य चरित्रों का अच्छा चित्रण मिलता है। इन्होंने कई संगीत नाटक भी लिखे। प्रारंभिक नाटक हास्यप्रधान हैं और उनमें जीवन का ऊपरी चित्र मिलता है। लेकिन बाद के नाटक राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत हैं। इनकी मुख्य रचनाएँ इस प्रकार हैं। | ||
====कविता==== | ====कविता==== | ||
'डॉस येइडेला' (यिद्दिश कविताओं का संग्रह), | 'डॉस येइडेला' (यिद्दिश कविताओं का संग्रह), 1866; | ||
====नाटक==== | ====नाटक==== | ||
'दि यिदेने', | 'दि यिदेने', 186९; 'दि रेक्रूतेन'; 'दि बोबी मिलैंकिल'; 'श्मेंद्रिक'; 'दि शूमे कल्ले'। | ||
०८:३२, १८ अगस्त २०११ का अवतरण
अब्राहम गोल्डफेडेन
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 38 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | फूलदेव सहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | तुलसी नारायण सिंह |
अब्राहम गोल्डफेडेन (Goldfaden Abraham) (जन्म-उक्रेन सन् 184०, मृत्यु-न्यूयार्क 1९०8) अब्राहम गोल्डफेडेन यहूदी थे। इन्होंने अपने साहित्यिक जीवन का प्रारंभ सन् 1868 में इब्रानी भाषा में कविता लिखकर किया। लेकिन कुछ ही समय बाद इन्होंने यहूदियों द्वारा सामान्य रूप से बोली जानेवाली यिद्दिश भाषा को अपनी साहित्यिक अभिव्यक्ति का माध्यम चुन लिया और बाद की इनकी सारी रचनाएँ इसी भाषा में हैं। कविता के अतिरिक्त इन्होंने नाटक के क्षेत्र में बड़ा महत्वपूर्ण कार्य किया। आधुनिक यिद्दिश रंगमंच की नींव सर्वप्रथम इन्होंने ही डाली। सन् 1876 में इन्होंने पहला यिद्दिश थियेटर रूमानिया के जेसी (Jassy) नगर में स्थापित किया। सन् 1875 में रूस छोड़ने के बाद इन्होंने लंबर्ग (Lemberg) में व्यंग्यात्मक शैली में निकलनेवाली साप्ताहिक पत्रिका यिज्ऱोलिक (Yisrolik) द्वारा पत्रकारिता के क्षेत्र में पदार्पण किया। बाद में ये रूस लौट आए और अपनी नाट्यमंडली के साथ प्राय: सभी बड़े नगरों का भ्रमण किया। जहाँ कहीं इन्होंने अपने नाटको का प्रदर्शन किया, जनता ने उत्साह के साथ उनका स्वागत किया।
इनकी सफलता से तत्कालीन शासक घबड़ा उठे और उन्होंने सन् 1883 में थियेटर पर प्रतिबंध लगा दिया। सन् 1887 में ये पहली बार न्यूयार्क गए और 1९०3 में वहीं बस गए। इनकी कविताएँ और नाटक इनकी मृत्यु के बाद भी जनता में पहले ही की तरह लोकप्रिय रहे। इनकी कुछ कविताओं को लोकगीत के रूप में व्यापक ख्याति मिली। इनमें यहूदी वातावरण में रहनेवाली समान्य चरित्रों का अच्छा चित्रण मिलता है। इन्होंने कई संगीत नाटक भी लिखे। प्रारंभिक नाटक हास्यप्रधान हैं और उनमें जीवन का ऊपरी चित्र मिलता है। लेकिन बाद के नाटक राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत हैं। इनकी मुख्य रचनाएँ इस प्रकार हैं।
कविता
'डॉस येइडेला' (यिद्दिश कविताओं का संग्रह), 1866;
नाटक
'दि यिदेने', 186९; 'दि रेक्रूतेन'; 'दि बोबी मिलैंकिल'; 'श्मेंद्रिक'; 'दि शूमे कल्ले'।
टीका टिप्पणी और संदर्भ