"दलपत राव बुंदेला": अवतरणों में अंतर
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'''दलपत राव बुंदेला''' इसके पिता का नाम राव शुभकरण था। यह लोक प्रसिद्ध है कि इसके पूर्वज विंध्यवासिनी देवी के उपासक होने के कारण बुंदेला कहलाए। | '''दलपत राव बुंदेला''' इसके पिता का नाम राव शुभकरण था। यह लोक प्रसिद्ध है कि इसके पूर्वज विंध्यवासिनी देवी के उपासक होने के कारण बुंदेला कहलाए। | ||
*राव शुभकरण को औरंगजेब ने अपने यहाँ सैन्य अधिकारी के रूप में रखा था। | *राव शुभकरण को औरंगजेब ने अपने यहाँ सैन्य अधिकारी के रूप में रखा था। | ||
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*औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात यह मोहम्मद आजम के साथ उत्तरी भारत आया और अजीमुश्शान के विरुद्ध लड़ता हुआ सन 1710 ई. में हरावली में मारा गया। | *औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात यह मोहम्मद आजम के साथ उत्तरी भारत आया और अजीमुश्शान के विरुद्ध लड़ता हुआ सन 1710 ई. में हरावली में मारा गया। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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१२:४४, २० सितम्बर २०१५ के समय का अवतरण
दलपत राव बुंदेला
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 6 |
पृष्ठ संख्या | 16 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | फूलदेवसहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1966 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
दलपत राव बुंदेला इसके पिता का नाम राव शुभकरण था। यह लोक प्रसिद्ध है कि इसके पूर्वज विंध्यवासिनी देवी के उपासक होने के कारण बुंदेला कहलाए।
- राव शुभकरण को औरंगजेब ने अपने यहाँ सैन्य अधिकारी के रूप में रखा था।
- राव की मृत्यु के पश्चात उसके पुत्र दलपत को उन्नति का अवसर प्राप्त हुआ। पहले इसका मंसव ढ़ाई सदी 80 सवार का था।
- कालांतर में इसका मंसब बढ़कर पाँच हजारी तक पहुँच गया था। इन्हें 'राव' की उपाधि भी प्राप्त हुई।
- ये डंका तथा अदोनी दुर्गों का अध्यक्ष भी रहे थे। शाहजादा कामबख्श के साथ वाकिन्करा पर आक्रमण के समय यह अच्छा सहायक सिद्ध हुआ।
- औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात यह मोहम्मद आजम के साथ उत्तरी भारत आया और अजीमुश्शान के विरुद्ध लड़ता हुआ सन 1710 ई. में हरावली में मारा गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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