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ईवाल, योहान''' (1743-1781) डेनमार्क के सबसे महान्‌ कवि। कोपेनहेगेन में जन्म। 15 साल की उम्र में शादी कर ली और सेना में भर्ती हो गए। सप्तवर्षीय युद्ध से लौट कर फिर उन्होंने पढ़ा लिखा। 23 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने बादशाह के मरने पर जो मरसिया लिखा वह असाधारण सुंदर माना जाता है। उनका नाट्यकाव्य 'आदम ओग ईवा' डेनमार्क की सुंदरतम रचनाओं में से है। ईवाल ने ही पहला मौलिक दु:खांत नाटक लिखा है। उसके बाद अगले 10 वर्षों में वे एक से एक सुंदर रचनाएँ प्रकाशित करते गए। 1779 ई. में उन्होंने अपनी सबसे सुंदर रचना गेय नाटिका 'फ़िसिकेर्ने' लिखी जिसमें डेनमार्क का राष्ट्रीय गान प्रस्तुत हुआ। इसने और 'बालदेर की मृत्यु' ने उनकी ख्याति डेनमार्क की सीमाओं के बाहर पहुँचा दी। उनकी शैली में बड़ी ताजगी और रवानी है और उन्होंने डेनमार्क के साहित्य को वह कुछ दिया है जो वर्ड्‌सवर्थ ने अंग्रेजी को और गेटे तथा शिलेर ने जर्मन साहित्य को। घोड़े से गिरकर वे पंगु हो गए और अंत में क्षय रोग के ग्रास बने।
'''ईवाल, योहान''' (1743-1781) डेनमार्क के सबसे महान्‌ कवि। कोपेनहेगेन में जन्म। 15 साल की उम्र में शादी कर ली और सेना में भर्ती हो गए। सप्तवर्षीय युद्ध से लौट कर फिर उन्होंने पढ़ा लिखा। 23 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने बादशाह के मरने पर जो मरसिया लिखा वह असाधारण सुंदर माना जाता है। उनका नाट्यकाव्य 'आदम ओग ईवा' डेनमार्क की सुंदरतम रचनाओं में से है। ईवाल ने ही पहला मौलिक दु:खांत नाटक लिखा है। उसके बाद अगले 10 वर्षों में वे एक से एक सुंदर रचनाएँ प्रकाशित करते गए। 1779 ई. में उन्होंने अपनी सबसे सुंदर रचना गेय नाटिका 'फ़िसिकेर्ने' लिखी जिसमें डेनमार्क का राष्ट्रीय गान प्रस्तुत हुआ। इसने और 'बालदेर की मृत्यु' ने उनकी ख्याति डेनमार्क की सीमाओं के बाहर पहुँचा दी। उनकी शैली में बड़ी ताजगी और रवानी है और उन्होंने डेनमार्क के साहित्य को वह कुछ दिया है जो वर्ड्‌सवर्थ ने अंग्रेजी को और गेटे तथा शिलेर ने जर्मन साहित्य को। घोड़े से गिरकर वे पंगु हो गए और अंत में क्षय रोग के ग्रास बने।


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

११:१२, ४ जनवरी २०१७ का अवतरण

लेख सूचना
ईवाल योहान
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 39
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी

ईवाल, योहान (1743-1781) डेनमार्क के सबसे महान्‌ कवि। कोपेनहेगेन में जन्म। 15 साल की उम्र में शादी कर ली और सेना में भर्ती हो गए। सप्तवर्षीय युद्ध से लौट कर फिर उन्होंने पढ़ा लिखा। 23 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने बादशाह के मरने पर जो मरसिया लिखा वह असाधारण सुंदर माना जाता है। उनका नाट्यकाव्य 'आदम ओग ईवा' डेनमार्क की सुंदरतम रचनाओं में से है। ईवाल ने ही पहला मौलिक दु:खांत नाटक लिखा है। उसके बाद अगले 10 वर्षों में वे एक से एक सुंदर रचनाएँ प्रकाशित करते गए। 1779 ई. में उन्होंने अपनी सबसे सुंदर रचना गेय नाटिका 'फ़िसिकेर्ने' लिखी जिसमें डेनमार्क का राष्ट्रीय गान प्रस्तुत हुआ। इसने और 'बालदेर की मृत्यु' ने उनकी ख्याति डेनमार्क की सीमाओं के बाहर पहुँचा दी। उनकी शैली में बड़ी ताजगी और रवानी है और उन्होंने डेनमार्क के साहित्य को वह कुछ दिया है जो वर्ड्‌सवर्थ ने अंग्रेजी को और गेटे तथा शिलेर ने जर्मन साहित्य को। घोड़े से गिरकर वे पंगु हो गए और अंत में क्षय रोग के ग्रास बने।

टीका टिप्पणी और संदर्भ