"अबुल फ़र्ज अली अल्इस्फ़हानी": अवतरणों में अंतर
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अबुल फ़र्ज अली अल्इस्फ़हानी
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 167 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री रियाजुर्रहामान शेरवानी |
अबुल फ़र्ज़ अली अल्इस्फ़हानी यद्यपि अबुल् फर्ज अल का जन्म इस्फहान (ईरान) में हुआ था, पर वह वास्तव में अरब का था और कुरेश कबीला से संबंधित था। आरंभिक अवस्था में यह इस्फहान से बग़्दााद चला गया और वहाँ रहकर अरबी विद्याओं, विषयों तथा ज्ञान-विज्ञान में योग्यता प्राप्त की। इसने हलब तथा अन्य ईरानी नगरों की यात्रा भी की। अपनी अवस्था का अंतिम भाग इसने खलीफ़ा मुइज्ज़ुद्दौला के मंत्री अल्मुहल्लबी के आश्रय में व्यतीत किया।
इसकी रचनाओं में सबसे अधिक प्रसिद्ध तथा जनप्रिय ग्रंथ 'किताबुल एग़्नााी' है। इसमें लेखक के समय तक की वह कुल अरबी कविताएँ संगृहीत की गई हैं, जिन्हें गेय रूप में ढाल दिया गया है। लेखक ने इन सब कवियों तथा गीतकारों का जीवनपरिचय भी इस ग्रंथ में संकलित किया है,जिन्होंने यह कार्य पूरा किया था। इसके साथ ही विस्तृत ऐतिहासिक बातों तथा आकर्षक घटनाओं का वर्णन दिया है जिससे यह ग्रंथ इस्लामी ज्ञान विज्ञान का नादिर तथा बहुमूल्य कोष बन गया है। 'किताबुल् एग़्नाी' बीस जिल्दों में मिस्र से प्रकाशित हो चुका है। इस विशद ग्रंथ का संक्षिप्त संस्करण 'रन्नातुल् मसालिस व अलमसानी' है, जिसे अंतून सालिहानी अलीसवी ने टिप्पणियों के साथ बेरूत से प्रकाशित किया है। इसका समय सन् 284 हि. से सन् 346 हि. (सन् 897 ई. से सन् 976 ई.) तक है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ