"अल्बुला गिरिपथ": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{भारतकोश पर बने लेख}}
{{लेख सूचना
{{लेख सूचना
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1

०६:३३, ७ जून २०१८ के समय का अवतरण

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
अल्बुला गिरिपथ
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 268
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक श्रीमती विभा मुखर्जी


अल्बुला स्विट्जरलैंड के ग्रिसन नामक पहाड़ी भाग का एक प्रसिद्ध गिरिपथ है। उत्तर से एनगाडाइन नदी के उत्तरी भाग में पहुँचने के लिए यही मुख्य मार्ग है। इसके उच्चतम भाग की ऊँचाई समुद्रतल से 7,515 फुट है। इस कारण पहले 7,504 फुट पर स्थित जूलियर गिरिपथ अधिक सुगम तथा सरल पड़ता था और उसका महत्व बहुत दिनों तक अल्बुला गिरिपथ से अधिक था। 13वीं शताब्दी से ही अब्बुला गिरिपथ चालू हो गया था, परंतु 1865 ई. में इसमें घोड़ागाड़ी जाने के लिए रास्ता बनाया गया और 1903 ई. में इसमें रेलमार्ग बना। तब इसका महत्व कई गुना बढ़ गया। इस गिरिपथ द्वारा राईन तथा हिंटर राईन उपत्यकाओं की सबसे सीधी सड़क बन गई है।

अल्बुला गिरिपथ के भीतर से जानेवाला रेलपथ कोयर नगर से रोचिनाऊ नगर तक राइन नदी के साथ-साथ चलता है और फिर हिटर राइन से होते हुए थूसिस तक पहुँचता है। इसके बाद शिन खड्ड के अंदर यह अल्बुला नामक पहाड़ी नदी को काटता हुआ टिफेन कास्टेल तक आता है। इस जगह से दक्षिण की ओर जूलियर पथ को छोड़कर अल्बुला नदी के साथ चलना शुरू करता है तथा आगे चलकर एक सुरंग से गुजरता है जिसका प्रवेशपथ 5,879 फुट पर और सर्वोच्च भाग 5,987 फुट पर स्थित है। यह सुरंग गिरिपथ के ठीक नीचे काटी गई है। रेलमार्ग इसके अंदर से निकलकर बीवर घाटी पर पहुँचता है तथा एनगाडाइन नदी की घाटी के ऊपरी भाग पर उतर आता है। इस गिरिपथ के कारण सेंट मोरीट्स से कोयर का रास्ता छोटा होकर केवल 56 मील का रह गया।


टीका टिप्पणी और संदर्भ