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आदित्यसेन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 369 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री ओंमकार नाथ उपाध्याय |
आदित्यसेन राज माधवगुप्त का पुत्र, उत्तर गुप्तों में संभवत: सबसे शक्तिमान्। हर्ष के जीवनकाल में तो वह चुपचाप सामंत ही बना रहा, पर उसके मरते ही उसने अपनी स्वतंत्रता घोषित कर सम्राटों के विरुद्ध शस्त्रास्त्र धारण किए। उसके अश्वमेध में अनुष्ठान से प्रकट है कि उसने कुछ भूमि भी निश्चय जीती होगी, और लेख में उसे 'आसमुद्र पृथ्वी का स्वामी' कहा भी गया है। उसका शासनकाल तो निश्चित नहीं है, पर कम से कम 672 ई. तक वह निश्चय जीवित रहा। आदित्यसेन की मृत्यु के बाद उत्तरकालीन गुप्तों की राजधानी विचलित हो चली।
टीका टिप्पणी और संदर्भ