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लेख सूचना
आरीका
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 424
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक श्याम सुंदर शर्मा

आरीका यह उत्तरी चिली के टरपाका प्रांत का प्रधान नगर और विख्यात पोताश्रय है। यह मोर्रो पहाड़ की तराई में बसा हुआ है तथा बोलविया की राजधानी ला पाज़ से रेलमार्ग द्वारा, जिसका निर्माण सन्‌ 1912 ई. में हुआ था, संबद्ध है। यह बोलविया के आयात निर्यात का प्रधान केंद्र है। वास्तव में यह एक अंतरराष्ट्रीय पोताश्रय है। सन्‌ 1868 ई. में भयंकर भूकंपजनित उच्च ज्वार के कारण नगर और पोताश्रय नष्ट हो गए। सन्‌ 1883 ई. में चिली वासियों ने इस नगर को खूब लूटा और चलते समय आग भी लगा दी। सन्‌ 1883 ई. की अंकोन की संधि के अनुसार सन्‌ 1894 ई. में यह नगर पेरू को वापस मिल जाना चाहिए था, परंतु ऐसा नहीं हो सका। सन्‌ 1906 ई. में यह नगर भूकंप से ध्वस्त हो गया।

यह तटीय मरुस्थल में बसा है। इसके आसपास न कुछ उपजता है और न कोई खनिज पदार्थ ही मिलता है। फिर भी यहाँ से प्रचुर मात्रा में राँगा, ताँबा, गंधक, सोहागा, अल्पाके का ऊन आदि निर्यात किए जाते हैं। ये सारी वस्तुएँ बोलविया और पेरू से उपलब्ध होती हैं। सन्‌ 1953 ई. की गणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 14,064 थी।




टीका टिप्पणी और संदर्भ