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जेनोफन ग्रीक सैनिक और इतिहासकार थे। | जेनोफन ग्रीक सैनिक और इतिहासकार थे। 430 ई. पू. एथेंस में उत्पन्न हुआ और 355 ई. पू. में कोरिंथ में मरा। इसका प्रारंभिक जीवन युद्ध करने में बीता। ऐथेंस और स्पार्टा के युद्ध से एथेंस का सब प्रकारसे विनाश हो चुका था, उस समय जेनोफन को ऐंथेस की स्थिति सुखद नहीं लगी। वह पर्शियन राजकुमार साइरस की सेना में भर्ती हो गया। साइरस उस समय अपने भाई आर्टाजेर्जस पर आक्रमण कर रहा था। अपनी योग्यता और कार्यकुशलता के बल पर यह एक ख्यातिप्राप्त प्रमुख सैनिक हो गया। साइरस के पतन के बाद इसने विशाल सेना को दुर्गम पर्वतीय मार्गों पर भी सुरक्षित रखा। इस युद्ध का वर्णन इसने अपनी पुस्तक अनाबासिस में किया है। | ||
आगे चलकर यह स्पार्टा की सेना में भर्ती हो गया, और 394 ई. पू. में इसने एथेंस के विरुद्ध 'कोरोनिया' में युद्ध किया। इस पर यह देशद्रोही घोषित किया गया और इसे निष्कासन का दंड दिया गया। बाद में यद्यपि यह दंड समाप्त कर दिया गया, किंतु वह फिर कभी एथेंस नहीं लौटा और एलिया में साइलस के पास रहने लगा, जहाँ उसकी साहित्यिक और सर्जनात्मक प्रवृत्ति को बल मिला। | आगे चलकर यह स्पार्टा की सेना में भर्ती हो गया, और 394 ई. पू. में इसने एथेंस के विरुद्ध 'कोरोनिया' में युद्ध किया। इस पर यह देशद्रोही घोषित किया गया और इसे निष्कासन का दंड दिया गया। बाद में यद्यपि यह दंड समाप्त कर दिया गया, किंतु वह फिर कभी एथेंस नहीं लौटा और एलिया में साइलस के पास रहने लगा, जहाँ उसकी साहित्यिक और सर्जनात्मक प्रवृत्ति को बल मिला। |
१२:०१, १८ अगस्त २०११ के समय का अवतरण
जेनोफन ग्रीक सैनिक और इतिहासकार थे। 430 ई. पू. एथेंस में उत्पन्न हुआ और 355 ई. पू. में कोरिंथ में मरा। इसका प्रारंभिक जीवन युद्ध करने में बीता। ऐथेंस और स्पार्टा के युद्ध से एथेंस का सब प्रकारसे विनाश हो चुका था, उस समय जेनोफन को ऐंथेस की स्थिति सुखद नहीं लगी। वह पर्शियन राजकुमार साइरस की सेना में भर्ती हो गया। साइरस उस समय अपने भाई आर्टाजेर्जस पर आक्रमण कर रहा था। अपनी योग्यता और कार्यकुशलता के बल पर यह एक ख्यातिप्राप्त प्रमुख सैनिक हो गया। साइरस के पतन के बाद इसने विशाल सेना को दुर्गम पर्वतीय मार्गों पर भी सुरक्षित रखा। इस युद्ध का वर्णन इसने अपनी पुस्तक अनाबासिस में किया है।
आगे चलकर यह स्पार्टा की सेना में भर्ती हो गया, और 394 ई. पू. में इसने एथेंस के विरुद्ध 'कोरोनिया' में युद्ध किया। इस पर यह देशद्रोही घोषित किया गया और इसे निष्कासन का दंड दिया गया। बाद में यद्यपि यह दंड समाप्त कर दिया गया, किंतु वह फिर कभी एथेंस नहीं लौटा और एलिया में साइलस के पास रहने लगा, जहाँ उसकी साहित्यिक और सर्जनात्मक प्रवृत्ति को बल मिला।
एशिया माइनर के युद्ध के पश्चात् जैनोफन एफेसस में बस गया, और अपना जीवन कृषि, शिकार और लिखने में व्यतीत करने लगा। साइलस में उसने अपनी अधिकांश पुस्तकें लिखी हैं। अनाबासिस के पश्चात् 'मोराबिलिया साक्रेतिस' दार्शनिक सुकरात के जीवन पर लिखी गई पुस्तक है। 'हेलेनिका' में ग्रीक इतिहास लिखा गया। पुस्तक में पृष्ठभूमि राजनीतिक होते हुए भी इसमें सत्य विकृत नहीं हो पाया हैं, साइरोपीडिया और 'होम मैंनेजमेंट' इसकी अन्य पुस्तकें हैं।
जेनोफन बहुत धार्मिक प्रकृति का व्यक्ति था। इसकी लेखनशैली बहुत ही सरल और सुस्पष्ट है। कहते हैं कि यह अत्यंत सुदर था और वृद्धावस्था में भी वैसा ही बना रहा।