"कुवलयाश्व": अवतरणों में अंतर
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११:४५, ३ सितम्बर २०११ का अवतरण
कुवलयाश्व इक्ष्वाकुवंशीय राजा बृहदश्व के पुत्र। अपने पिता के आदेश से इन्होंने धुंधु नामक राक्षस का वध किया था। इसी से इनका दूसरा प्रसिद्ध नाम धुंधमार भी है। इसके वध की कथा विस्तारपूर्वक हरिवंश पुराण में वर्णित है। इनके सौ पुत्र थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ