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'''करंजा'''  
'''करंजा'''  
(१) अकोला जिले के मुर्तजापुर नामक ताल्लुके का एक प्रमुख नगर है। इसकी स्थिति २०रू २९फ़ उ.अ. तथा ७७रू ३०फ़ पू.दे. है।


इस नगर का नाम एक संत के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है, उस संत को अंबादेवी का अभय वरदान मिला था। आज भी एक सरोवर तथा मंदिर उस संत से संबंधित बताए जाते हैं। इस नगर के बाहर अनेक भग्नावशेष हैं जो इसके प्राचीन इतिहास पर अस्पष्ट प्रकाश डालते हैं। ऐसा ज्ञात होता है कि पहले इस नगर के चारों ओर प्राचीन था जो समतल सा हो गया है। यह नगर एक पक्की सड़क द्वारा मुर्तजापुर से संबद्ध है।
(१)
*अकोला जिले के मुर्तजापुर नामक ताल्लुके का एक प्रमुख नगर है।
*इसकी स्थिति २०रू २९फ़ उ.अ. तथा ७७रू ३०फ़ पू.दे. है।
*इस नगर का नाम एक संत के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है, उस संत को अंबादेवी का अभय वरदान मिला था।  
*आज भी एक सरोवर तथा मंदिर उस संत से संबंधित बताए जाते हैं।  
*इस नगर के बाहर अनेक भग्नावशेष हैं जो इसके प्राचीन इतिहास पर अस्पष्ट प्रकाश डालते हैं।  
*ऐसा ज्ञात होता है कि पहले इस नगर के चारों ओर प्राचीन था जो समतल सा हो गया है।  
*यह नगर एक पक्की सड़क द्वारा मुर्तजापुर से संबद्ध है।


(२) इसी नाम का एक प्रायद्वीप बंबई पत्तन से लगभग छह मील दक्षिण-पूर्व स्थित है। इसकी लंबाई करीब आठ मील तथा चोड़ाई चार मील है। इसका अधिक भाग पठारी है। यहाँ का मुख्य उद्यम चावल की खेती करना, मछली मारना और मदिरा तथा नमक बनाना है। इस प्रायद्वीप की मुख्य बस्ती यूरान है।
(२)  
*इसी नाम का एक प्रायद्वीप बंबई पत्तन से लगभग छह मील दक्षिण-पूर्व स्थित है।  
*इसकी लंबाई करीब आठ मील तथा चोड़ाई चार मील है।  
*इसका अधिक भाग पठारी है।  
*यहाँ का मुख्य उद्यम चावल की खेती करना, मछली मारना और मदिरा तथा नमक बनाना है।  
*इस प्रायद्वीप की मुख्य बस्ती यूरान है।


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

१२:२५, ३ सितम्बर २०११ का अवतरण

लेख सूचना
करंजा
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 414
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1975 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक बच्चाप्रसाद राव

करंजा

(१)

  • अकोला जिले के मुर्तजापुर नामक ताल्लुके का एक प्रमुख नगर है।
  • इसकी स्थिति २०रू २९फ़ उ.अ. तथा ७७रू ३०फ़ पू.दे. है।
  • इस नगर का नाम एक संत के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है, उस संत को अंबादेवी का अभय वरदान मिला था।
  • आज भी एक सरोवर तथा मंदिर उस संत से संबंधित बताए जाते हैं।
  • इस नगर के बाहर अनेक भग्नावशेष हैं जो इसके प्राचीन इतिहास पर अस्पष्ट प्रकाश डालते हैं।
  • ऐसा ज्ञात होता है कि पहले इस नगर के चारों ओर प्राचीन था जो समतल सा हो गया है।
  • यह नगर एक पक्की सड़क द्वारा मुर्तजापुर से संबद्ध है।

(२)

  • इसी नाम का एक प्रायद्वीप बंबई पत्तन से लगभग छह मील दक्षिण-पूर्व स्थित है।
  • इसकी लंबाई करीब आठ मील तथा चोड़ाई चार मील है।
  • इसका अधिक भाग पठारी है।
  • यहाँ का मुख्य उद्यम चावल की खेती करना, मछली मारना और मदिरा तथा नमक बनाना है।
  • इस प्रायद्वीप की मुख्य बस्ती यूरान है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ