अपाला

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित १३:४४, २४ सितम्बर २०१४ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
अपाला
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 141
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी

अपाला अत्रि की ब्रह्मज्ञानी पुत्री जिसे कुष्ठ रोग होने के कारण पति ने छोड़ दिया था। यह पिता के यहाँ रहकर इंद्र को प्रसन्न करने के लिए तप करने लगी। सोम को इंद्र की प्रिय वस्तु जानकर वह एक दिन नदी किनारे सोम ढूँढ़ने गई और मिल जाने पर वहीं जड़ी को चबाकर स्वाद का अनुभव करने लगी। इंद्र वहाँ आए और अपाला से सोम प्राप्त किया। उन्ही के वरदान से अपाला के पिता का गंजापन दूर हुआ, वह स्वयं प्रजनन के योग्य बनी और उसका कुष्ठ रोग चला गया। ऋग्वेद में एक सूक्त (8.11) में अपाला का उल्लेख है।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध




टीका टिप्पणी और संदर्भ