कोलार गोल्ड फील्ड

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कोलार गोल्ड फील्ड भारत में मैसूर राज्य के दक्षिणपूर्वी भाग में फैली सोने की खदान (विस्तार 12° 5’ से 13° उत्तरी अंक्षाक्ष तथा 78° 18’ पूर्वी से 78° 21’ से पूर्वी देशांतर ) ।

धारबार युग की चट्टानों में क्वार्टज के साथ सोना पाया जाता है स्वर्णयुक्त क्वार्टज की लगभग 26 पट्टियाँ उत्तरदक्षिण दिशा में 1।4 मील से 4 मील तक की चौड़ाई में फैली हुर्ह हैं जो क्षेत्रफल में लगभग 100 वर्गमील हैं। खुदाई का काम यहाँ 1873

में आरंभ हुआ। प्रारंभ में 13
मील लंबी पेटी में खुदाई होती थी पर अब केवल पाँच मील की पेटी में खुदाई होती है। 26
पट्टियों में से केवल चैंपियन रीफ पर खुदाई होती है। खुदाई का काम चार कंपनियाँ -मैसूर गोल्ड माइनिंग कंपनी लिमिटेड, चैपियन रीफ गोल्ड माडनेस ऑव्‌ इंडिया लिमिटेड, उरेगम (Ooregum) गोल्ड माइनिंग कंपनी लिमिटेड और नंदीद्रुग (Nundydroog) माइन्स लिमिटेड करती हैं। इनमें क्रमश: 8,128 फुट, 9, 233  फुट और 7,975 फुट तक खुदाई होती है। गंधकीय खनिज केवल 1 प्रतिशत हैं। शुद्ध धातु की मात्रा 8 से 48 ग्राम प्रति टन खनिज है। विभिन्न खदानों में शुद्ध धातु प्रति टन 1954 में इस प्रकार थी।

मैसूर माइंस 11.30

ग्राम, चैंपियन रीफ माइंस 12

.76 ग्राम उरेगम माइंस 8.54 ग्राम तथा नंदीद्रुग माइंस 7.94 ग्राम।


खदान खनिज उत्पादन (आैंस में) शुद्ध धातु (आैंस में)
सन्‌ 1953 सन्‌ 1954
मैसूर खदान 1,88,286 78,254
चैंपियन खदान 1,39,200 69,989
उरेगम खदान 66,834 1,715
नंदीद्रुग 2,16,673 72,070

उत्पादन सर्वप्रथम 1875 ई. में एम. एफ. लैवल ने उरेगम में प्रारंभ किया। 1881 में नंदीद्रुग में तथा 1883 ई० में दक्षिण चैंपियन खदान में उत्पादन आरंभ हुआ।

दक्षिण रेलवे की 10 मील लंबी शाखा इसको मुख्य मार्ग से बोरिंग पेट स्टेशन पर मिलाती है। जलविद्युत्‌ 92 मील दूर शिवसुंदरम्‌ जल प्रपात से मिलती है। पानी की पूर्ति छह मील पश्चिम पलार नदी पर जलाशय बनाकर की जाती है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ