एस्टन
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एस्टन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 261 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | लेखराज सिंह, कृष्णबहादुर सक्सेना |
एस्टन इंग्लैंड के यॉर्कशायर प्रदेश के राइडिंग उपविभाग का एक औद्योगिक नगर है। यह मिडिलबरी के पूर्व चार मील की दूरी पर स्थित है। क्वीवलैंड की पहाड़ियों में कच्चे लोहे की खुदाई के उद्योग का यह प्रमुख केंद्र है। यहाँ बड़ी-बड़ी लोहे की भट्ठियाँ तथा लोहे की ढलाई के कारखाने हैं जहाँ रेलवे की पटरियाँ आदि बनाई जाती हैं। यहाँ बहुत सी वाष्पचालित आरों की मिलें भी हैं। सन् 1961 ई. में इसकी जनसंख्या 37160 थी।
एस्टर कार्बाक्सलिक अम्ल के अम्लीय हाइड्रोजन को एक एल्किल मूलक से विस्थापित करने पर बनता है :
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एस्टर के जलविश्लेषण से पुन: ऐलकोहल और अम्ल बन जाते हैं। अधिकांश एस्टर आयनीकृत नहीं होते हैं और पानी में बहुत कम विलेय होते हैं। इनके अवयवों से एस्टर बनाने की क्रिया को एस्टरीकरण कहते हैं। इसके लिए अम्ल और ऐलकोहल के मिश्रण को थोड़ी मात्रा में खनिज अम्ल के साथ गरम किया जाता है। इस अभिक्रिया में खनिज अम्ल उत्प्ररेक का काम करते हैं। एस्टरीकरण की इस विधि को फिशर विधि कहते हैं।
ऐलकोहल और खनिज अम्लों के संयोग से भी एस्टर बनते हैं। यह अभिक्रिया खनिज अम्लों के शक्तिशाली अम्लीय और निर्जलीकारण गुणों के कारण होती है। सांद्र सल्फ़्यूरिक अम्ल तथा ऐलकोहल के संयोग से ऐल्किल सल्फ़्यूरिक अम्ल बनता है। एथिल ऐलकोहल और नाइट्रिक अम्ल तथा नाइट्रस अम्ल के सयोंग से क्रमश: एथिल नाइट्रेट और एथिल नाइट्राइट बनता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ