अतीस
अतीस रैननकुलैसी परिवार का एक पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम एकोनिटक हेटेरोफिल्रलम है। यह पौधा आल्पस्, पाइरेनीज तथा यूरोप और एशिया के अन्य पर्वतीय प्रदेशों में पाया जाता है। समशीतोष्ण प्रदेशों में इसकी खेती की जाती है। अतीस हिमालय के पश्चिमी समशीतोष्ण प्रदेशों में घास के रूप में उगता है। इसकी सात नस्लें या जातियाँ पाई जाती हैं।
यह एक सीधा, वर्षानुवर्षी शाक है। इसका तना पत्तियों से भरा हुआ एक से तीन फुट तक ऊँचा तथा आधार पर से ही शाखान्वित होता है। इसकी नीचे की सतह चिकनी होती है। पत्तियों की लंबाई दो से चार इंच तक, पत्रदल का आकार अंडे के समान या लगभग गोल होता है। इसके पत्रदल का किनारा दाँत के समान कटा हुआ तथा आगे का भाग कुछ नुकीला या गोल होता है।
इसमें कई पुष्प एक ही स्थान से निकलते हैं और गुच्छों के रूप में लटके रहते हैं। यह पौधा अत्यंत विषैला होता है तथा इसकी ट्यूबरस जड़ों में कुछ ऐल्केलॉइडस भी पाए जाते हैं जिनमें एकोनिटम मुख्य है। इसी से एकोनाइट नामक दवा बनाई जाती है। इस औषधि का प्रयोग ज्वर तथा शरीर का दर्द दूर करने में किया जाता है। इसके अतिरिक्त बलकारक औषधि के रूप में, शरीर की लाल सूजन दूर करने आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता है। होमियोपैथी में जुकाम, बुखार, गठिया, ट्यूमर आदि में इसका प्रयोग किया जाता है।
अतीस, कगरासिंघी, नागरमोथा तथा पीपल को एक साथ मिलाकर चौहड्डी नामक औषधि बनाई जाती है जिसकी शहद के साथ मिलाकर खाने से खाँसी दूर दो जाती है।
शरीर के बाहरी हिस्सों में इसका प्रयोग मुख और सिर की नसों का दर्द दूर करने के लिए किया जाता है। (कु. पु. अ.)
टीका टिप्पणी और संदर्भ