थाना
थाना अंग्रेजी के शब्द पुलिस स्टेशन का हिंदी पर्यायवाची है। सामान्य वार्ता में इस शब्द का प्रयोग न केवल थाने के भौगोलिक अधिकार क्षेत्र को सूचित करने के निमित्त होता है, वरन् इस शब्द के द्वारा थाना भवन का भी बोध होता है। इसका आविर्भाव ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा सुस्थिर शासन स्थापित होने पर हुआ। भारत एवं पाकिस्तान में थाना, पुलिस प्रशासन की प्रमुख इकाई है। नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों को पुलिस शासन की दृष्टि से अनेक उपक्षेत्रों में विभक्त कर दिया जाता है। प्रत्येक उपक्षेत्र को थाने की संज्ञा दी जाती है।
वर्गीकरण
नगरों के थानों के अंतर्गत अनेक मुहल्ले एवं ग्रामीण थाने के अंतर्गत अनेक ग्राम होते हैं। राजनीतिक, अपराध संबंधी, व्यावसायिक अथवा धार्मिक महत्ता के अनुसार थानों का उच्च अथवा निम्न श्रेणियों में वर्गीकरण किया जाता है। थाने का प्रमुख अधिकारी थानेदार कहलाता है। थाने के महत्व के अनुसार वहाँ एक अथवा एक से अधिक पुलिस सबइंस्पेक्टर नियुक्त किए जाते हैं। कुछ प्रदेशों में अत्यंत महत्वपूर्ण थानों का अध्यक्ष पुलिस इंसपेक्टर की कोटि का अधिकारी होता है।
कर्मचारी
जिन थानों के क्षेत्र विस्तृत अथवा सघन जनसंख्यावाला होता है, वहाँ व्यवस्था की सुविधा के लिये अधिकारक्षेत्र को उपक्षेत्रों में विभक्त कर चौकियों के अधिकार में दिया जाता है। थाना एवं चौकियों में नियुक्त कर्मचारियों द्वारा उस क्षेत्र में व्यवस्था, अपराध-निरोध, अपराधों की विवेचना आदि कार्य का संपादन किया जाता है। थानाध्यक्ष एवं उसके सहकारी सबइंसपेक्टरों के अतिरिक्त प्रत्येक थाने एवं चौकी में हेड कानिस्टबिल और कानिस्टबिल होते हैं। इनके उपयोग के लिये एक छोटा शास्त्रागार एवं अन्य साजसज्जा भी होती है, जिससे युक्त होकर आवश्यकतानुसार वे दुस्साहसी अपराधियों अथवा विधिविरुद्ध आचरण करनेवालों का सामना कर सकते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ