अनादिर नदी

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लेख सूचना
अनादिर नदी
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 113,114
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक विभा मुखर्जी ।

अनादिर रूस राज्य के सुदूर प्राच्य प्रदेश की एक नदी, पहाड़, बंदरअंरीप से दक्षिण के नावारिन अंतरीप तक विस्तृत है। यह लगभग 250 मील चौड़ी है और बेरिंग सागर का एक भाग है। अनादिर नदी कोलाइमा, अनादिर तथा कमचटका पर्वतश्रेणियों के मध्य से लगभग 67° उ.अ. तथा 173° पू.दे. से निकली है। यहाँ पर इसे इवाश्की अथवा इवाशनों नाम से पुकारते हैं। आगे चलकर यह चूकची प्रदेश में पहुँचती है तथा पहले दक्षिण पश्चिम की ओर और फिर पूर्व की ओर मुड़कर लगभग 500 मील आगे चलकर अनादिर की खाड़ी में गिरती है। चूकची प्रदेश टंड्रा के अंचल में है, अत: यहाँ गर्मी में दलदल हो जाता है।

बेरिंग जलडमरूमध्य (स्ट्रेट) के पास एस्किमों जाति के लोग बसते हैं, परन्तु इनके अलावा चूकची जाति के लोग भी यहाँ पाए जाते हैं। चूकची जाति के लोग के लोग रेनडियर नामक हरिण पालते हैं और गर्मी के दिनों में इन्हें साथ लेकर समुद्र उपकूल के पास चले जाते हैं। इन स्थानों में रेनडियर के चमड़े का व्यवसाय प्रमुख है। यह कहा जाता है कि कमचटका तथा अनादिर खाड़ी के संलग्न प्रदेशों में पाए जानेवाले हरिणें की संख्या सोवियत राज्य के कुल हरिणों की संख्या की आधी है। जाड़े के दिनों में अनादिर खाड़ी का पानी जम जाता है जिसके कारण समुद्री मार्ग पूर्णतया बंद हो जाता है। गर्मी के दिनों में बर्फ के पिघलने से खाड़ियाँ खुल जाती हैं और जहाज आयात की भिन्न-भिन्न वस्तुओं को लेकर यहाँ आते हैं तथा हरिण के चमड़े यहाँ से ले जाते हैं। चूकची जाति में से कुछ लोग घर बनाकर भी बसते हैं तथा जाड़े के दिनों में शिकार करके और गर्मी के दिनों में मछली पकड़कर जीवननिर्वाह करते हैं। यहाँ पर सामन मछली प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। इन लोगों में कुत्ते भारवाही पशु के रूप में काम आते हैं। बेरिंग जलडमरूमध्य के पास सोना, चाँदी जस्ता, सीसा तथा कृष्ण सीस (ग्रैफ़ाइट) की खानें हैं। अनादिर नदी की घाटी में तथा अनादिर बंदरगाह के दक्षिण में कोयला भी निकाला जाता है जो उत्तरी सागर में आने जानेवाले जहाजों के काम में आता है।

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