अनामी भाषा
अनामी भाषा
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 115 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भोलानाथ तिवारी । |
अनामी द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व हिंद चीन के पाँच प्रांतों-लाओस, कंबोडिया, अनाम, कोचीन चीन तथा टोंटिंग) में से एक प्रांत अनाम की भाषा। अब यह प्रांत नहीं रह गया है, किंतु भाषा है। इसे बोलनेवालों की संख्या अनुमानत: एक करोड़ से कम है। यह चीनी भाषापरिवार की तिब्बती-बर्मी-वर्ग पूर्वी शाखा (अनामी-मुआंग) की एक भाषा है। इसके बोलनेवाले कंबोडिया, स्याम और बर्मा तक पाए जाते हैं। इसकी प्रमुख बोली टोंकिनी है। पिछले तीस वर्षो के युद्ध के कारण इसकी जनसंख्या एवं शब्दभांडार में कल्पनातीत परिवर्तन हो गया है। चीनी भाषा की भाँति यह भी एकाक्षर (चित्रलिपि), अयोगात्मक और वाक्य में स्थानप्रधान है। अर्थप्रेषण के लिए लगभग छह सुरों का प्रयोग होता है। इसमें ऋण चीनी शब्दों की संख्या सर्वाधिक है। चीनी की भाँति अनामी ने भी रोमन लिपि को अपना लिया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ