नजाबत ख़ाँ मिर्ज़ा शुजाअ

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नजाबत खाँ मिर्जा शुजाअ बदख्शाँ के शासक मिर्जा शाहरुख का पुत्र। मुगल सम्राट् शाहजहाँ ने इसे नज़ाबत खाँ की उपाधि दी। यह क्रमश: कोल (अलीगढ़) मुलतान और कांगड़ा में फौजदार नियुक्त हुआ। कुछ अदूरदर्शी साथियों के परामर्श से इसने श्रीनगर पर आक्रमण की योजना बनाई किंतु इसमें इसे सफलता नहीं मिली। इससे असंतुष्ट होकर शाहजहाँ ने इसके सारे अधिकार छीन लिए। समय बदला, सम्राट् ने पुन: कृपा की और इसे मुल्तान का सूबेदार नियुक्त किया। जब मुगल सेनाओं ने जगतसिंह के मऊ, नूरपूर, तारागढ़ तथा पठानकोट जीत लिए तो यह उस समूचे प्रदेश का अधिपति मनोनीत हुआ। शाहजहाँ के अंतिम दिनों में यह राजकुमार औरंगजेब के साथ हो गया। महारा जसवंतसिंह के विरुद्ध लड़ाई में इसने बड़े रणकौशल का परिचय दिया, जिससे प्रसन्न होकर औरंगजेब ने इसे पुरस्कार और खानखाना बहादुर सिपहसालार की उच्च पदवी दी। कालांतर में इसके मस्तिष्क में विकार उत्पन्न हुआ। दाराशुकोह के विरुद्ध संघर्ष में इसने औरंगजेब को सहयोग नहीं दिया और उसके संदेशवाहक मीर अबुल फजल मामूरी की हत्या कर दी। फलत: इसके सारे अधिकार, जागीर, उपाधि इत्यादि छीन लिए गए। किंतु कुछ दिन बीतने के बाद इसके भाग्य ने पुन: करवट ली और इसे मालवा का अधिपति बनाया गया। वहीं इसकी मृत्यु हुई।


टीका टिप्पणी और संदर्भ