कैलास मंदिर

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लेख सूचना
कैलास मंदिर
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 145
भाषा हिन्दी देवनागरी
लेखक परमेश्वरीलाल गुप्त
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी

कैलास (मंदिर) संसार में अपने ढंग का अनूठा वास्तु, जिसे मालखेड नरेश कृष्ण प्रथम (760-783 ई.) ने निमित्त कराया था। यह एलोरा (ज़िला औरंगाबाद) स्थित लयण-श्रृंखला में है और अन्य लयणों की तरह भीतर से उकेरा तो गया ही है, बाहर से मूर्ति की तरह समूचे पर्वत को तराश कर इसे द्रविड़ शैली के मंदिर का रूप दिया गया है।

  • इसके निर्माण के लिये पहले खंड अलग किया गया, और फिर इस पर्वत खंड को भीतर बाहर से काट-कूट कर 90 फुट ऊँचा मंदिर गढ़ा गया है।
  • मंदिर भीतर बाहर चारों ओर मूति-अलंकरणों से भरा हुआ है।
  • इस मंदिर के आँगन के तीन ओर कोठरियों की पाँत थी, जो एक सेतु द्वारा मंदिर के ऊपरी खंड से संयुक्त थी। अब यह सेतु गिर गया है।
  • सामने खुले मंडप में नंदि है और उसके दोनों ओर विशालकाय हाथी तथा स्तंभ बने हैं।
  • यह कृति भारतीय वास्तु-शिल्पियों के कौशल का अद्भुत नमूना है।


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